तेजज्ञान फ़ाउंडेशन का लक्ष्य है नकारात्मक विचार से सकारात्मक विचार की ओर बढ़ें। सकारात्मक विचार से शुभ विचार यानी हैप्पी थॉट्स की ओर बढ़ें। शुभ विचार से निर्विचार की ओर बढ़ें। निर्विचार से आत्मसाक्षात्कार की ओर बढ़ें। शुभ विचार (Happy Thoughts) यानी यह विचार कि 'मैं हर विचार से मुक्त हो पाऊं। शुभ इच्छा यानी यह इच्छा कि 'मैं हर इच्छा से मुक्त हो जाऊं।'
तेजज्ञान यानी वह ज्ञान जो ज्ञान व अज्ञान से परे है। ज्ञान यानी सामान्य ज्ञान (General Knowledge)। कई लोग सामान्य ज्ञान की जानकारी को ही ज्ञान समझ लेते हैं, लेकिन असली ज्ञान और जानकारी में बहुत बड़ा अंतर है। आज लोग सामान्य ज्ञान के जवाबों को ज़्यादा महत्व देते हैं। उदा. कर्म और भाग्य, योग और प्राणायाम, स्वर्ग और नर्क इत्यादि। आज के युग में सामान्य ज्ञान प्राप्त करने वाले लोग, शिक्षक कई मिल जाएंगे मगर यह ज्ञान सुनकर जीवन में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होता। यह ज्ञान या तो केवल बुद्धि विलास है या फिर अध्यात्म के नाम पर बुद्धि का व्यायाम है।
सभी समस्याओं का समाधान है तेजज्ञान। भय मुक्त, चिंता रहित व क्रोध से आज़ाद जीवन है तेजज्ञान। शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए है तेजज्ञान। ज्ञान और अज्ञान के परे जो ज्ञान है, वह है तेजज्ञान। तेजज्ञान आपके अंदर है, आओ और पाओ।
यदि आप ऐसा ज्ञान चाहते हैं जो सामान्य ज्ञान से परे है, जो हर समस्या का समाधान है, जो हर मान्यताओं से आपको मुक्त करता है, जो आपको ईश्वर का साक्षात्कार कराता है, जो आपको सत्य पर स्थापित करता है, तो समय आ गया है तेजज्ञान को जानने का। समय आ गया है शब्दों वाले सामान्य ज्ञान से उठकर तेजज्ञान का अनुभव करने का।
अब तक अध्यात्म के कई मार्ग बताए गए हैं। जैसे जप, तप, मंत्र, तंत्र, कर्म, भाग्य, ध्यान, ज्ञान, योग, भक्ति। इन मार्गों के अंत में जो समझ, जो बोध प्राप्त होता है, वह एक ही है। हर सत्य के खोजी को अंत में एक ही समझ मिलती है और इस समझ को सुनकर भी प्राप्त किया जा सकता है। उसी समझ को, श्रवण करना यानी तेजज्ञान प्राप्त करना कहा गया है। तेजज्ञान के श्रवण से सत्य का साक्षात्कार होता है। ईश्वर का अनुभव होता है। यही तेजज्ञान तेजगुरु सरश्री महाआसमानी शिविर में प्रदान करते हैं।
महाआसमानी शिविर में असली अध्यात्म और सीधा सत्य तीन भागों में बताया जाता है-1. हर क्षण वर्तमान में जीना, वर्तमान यानी न भूत का बोझ, न भविष्य की चिंता 2. 'मैं कौन हूं' यह अनुभव से जानना 3. तेजज्ञान प्राप्ति की अवस्था में स्थापित होना।
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