माँ मुंडेश्वरी को सहस्त्र प्रणाम, जिनके चरणों में यह भाव-संकल्प जन्मा। उन गुरुजनों को, जिन्होंने मंत्र-शक्ति का बोध कराया। परिवार, पाठकवर्ग और उस शक्ति को, जो अदृश्य होकर भी लेखन की कलम चलाती है और हृदय की स्याही भरती है। यह ग्रंथ मेरी श्रद्धा, साधना और संकल्प का फल है। इसमें यदि कोई त्रुटि, अपूर्णता या शब्दगत असावधानी हो, तो वह मेरी अल्पता है – कृपया क्षमा करें। यह कृति अपने पिता पूज्य ब्रह्मलीन अयोध्या तिवारी की स्मृति में, माँ मुंडेश्वरी देवी के श्रीचरणों में पूर्ण समर्पण भाव से अर्पित है। मैं इस पुस्तक को उन सभी साधकों को समर्पित करता हूँ, जो भक्ति के मार्ग पर मौन पगचिन्ह छोड़ते हैं।
विशेष आभार -
मेरे पिताजी, पूज्य ब्रह्मलीन अयोध्या तिवारी जी, जिनकी आत्मा, आशीर्वाद और साधना-स्मृति इस ग्रंथ की प्रेरणा बनी। यह लेखन एक कृतज्ञ पुत्र का प्रयास है, जिसने माँ के द्वार पर बैठकर शब्दों की माला पिरोई है। यदि कहीं त्रुटि हो तो उसे मेरी भक्ति का अपरिपक्व भाव समझें और यदि कहीं माँ की छाया मिल जाए तो उसे माँ की कृपा मानें। मैं नहीं लिखता, माँ लिखवाती हैं- मैं तो केवल उनका निमित्त हूँ। यह पुस्तिका आपके हाथों में एक धार्मिक उत्तरदायित्व है। इसे केवल पढ़ें नहीं, जपें, गाएँ, मनन करें और साधना में उतारें। यदि यह पाठ आपकी आत्मा को माँ के समीप ले जाए तो यह हमारा सबसे बड़ा पुरस्कार होगा। विशेष आभार सकरवार वंशीय महानुभाव श्री अयोध्या सिंह (कसेर) के साथ उनके सभी परिवार को, खासकर मेरे प्रिय मित्र आशुतोष कुमार सिंह उर्फ नारायाण जी को हृदय से आभार है जिन्होंने सदैव मुझे प्रेरित किया है.
Hindu (हिंदू धर्म) (13443)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (714)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2075)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1157)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24544)
History (इतिहास) (8922)
Philosophy (दर्शन) (3591)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist