This book is useful for u.g.c./net/slet and lectureship (paper -ii and iii) for the subject music, p.g.t. And t.g.t. Music test conducted by university grant commissions/various universitie/state public service commissions/education boards, staff selection commission etc.
प्राक्कथन
पिछले कई वर्षों से एक ऐसी पुस्तक की आवश्यकता महसूस की जा रही थी जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नेट (NET) तथा विभिन्न राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित सलेट (SLET) की सगीत विषय की परीक्षाओं में बैठने चाले उम्मीदवारों का उचित मार्ग दर्शन कर सके। मुझ पर कुछ समय से अनेक मित्रों तथा छात्रों का आग्रह पड़ रहा था कि में अपने अनुभव के आधार पर एक छोटी, परन्तु उपयोगी पुस्तक लिखूं। प्रस्तुत पुस्तक इसी सप्रेम आग्रह का परिणाम है। ऐसा देखा गया है कि संगीत संबंधी परीक्षाओं के लिए सामग्री विभिन्न स्रोतों में बिखरी पड़ी है। साधारण छात्र के लिए यह संभव नहीं है कि वह अल्प समय में सभी सूचना के स्रोतों की खोज कर सके तथा उचित पाठ्यक्रम सामग्री छांट सके। यह एक अत्याधिक खर्चीला तथा श्रमसाध्य कार्य है। आशा है कि यह पुस्तक इन सभी छात्रों तथा अन्य रूचि रखने वाले महानुभावों की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होगी। पुस्तक में भारतीय संगीत के इतिहास का विस्तार से वर्णन किया गया है। संगीतिक शब्दों तथा सम्प्रत्ययों की परिभाषाओं का विस्तार से समावेश किया गया है। इसके अतिरिक्त रवीन्द्र संगीत, दक्षिणी संगीत तथा पाश्चात्य संगीत पर पृथक सामग्री दी गई है। ताल संबंधी सामग्री तथा लगभग 80 रागों का सामान्य परिचय भी दिया गया है। संगीत में शोध से संबंधित वर्णन तथा सौन्दर्य, रस आदि का वर्णन भी किया गया है। लोक-संगीत, नृत्य आदि का भी उल्लेख किया गया है। अनेक शास्त्रकारों, गायकों, वादकों, नृत्यकारों आदि का परिचय संक्षिप्त रूप से वर्णित किया गया है। पुस्तक के सबसे महत्वपूर्ण खंड में 1100 वस्तुनिष्ठ प्रश्न हैं। जिनका लाभ परीक्षार्थियों को अवश्य होगा। विद्वानों से अनुरोध है कि इस पुस्तक में पाई जाने वाली त्रुटियों को बताए ताकि आगामी सस्करण में उन्हें दूर किया जा सके। इस पुस्तक को लिखने में मेरे माता-पिता तथा मुरुजन केवल प्रेरणा का स्रोत ही नहीं रहे बल्कि उनसे मुझे महत्वपूर्ण मार्गदर्शन भी मिला। उनके इस सहयोग के लिए में उनका सदैव ही ऋणी रहूंगा। इसके अतिरिक्त में अपनी पत्नी तथा छोटे भाई, उन दोनों के सक्रिय योगदान के लिए भी आभारी हूं। मैं डॉ. चमल लाल वर्मा जी, विभागाध्यक्ष, संगीत विभाग, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय तथा अन्य सभी शिक्षकों का आभारी हूं, जिन्होंने इस कार्य में मेरी सहायता की। इसके अतिरिक्त में उन सभी शास्त्रकारों का सदैव ऋणी रहूंगा जिन्होंने संगीत पर पुस्तकें लिखकर मुझे इस कार्य को पूरा करने में सहायता प्रदान की। मैं अपने छात्रों का आभारी हूं जिन्होंने मुझे समय-समय पर सहायता प्रदान की। मैं प्रो. जगमोहन बलोखरा का अत्यंत आभारी हूं जिन्होंने इस पुस्तक को प्रकाशित किया। अतः मैं प्रो. बलोखरा जी तथा उनके प्रकाशन के सभी कर्मचारियों का सहृदय धन्यवाद करता हूं। मैं आशा करता हूं कि पाठकगण प्रस्तुत पुस्तक को अपनी आगामी परीक्षा के लिए सहर्ष स्वीकार करेंगे।
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