Easy to Understand, Explanation-Free, Exact and Simple Hindi Translation of the Basic Principles.
दो शब्द
होम्योपैथी के विषय में सभ्यक जानकारी प्राप्त करने के लिए 'आर्गेनन' का अध्ययन करना परमावश्यक है। होम्योपैथी के आविष्कारक डाक्टर सैमुअल हैनीमैन ने अपने सम्पूर्ण जीवन के चिकित्सकीय अनुभवों का सारांश इस ग्रन्थ में भर दिया है अतः इसे होम्योपैथी के 'वेद' की संजा से भी अभिहित किया जाता है। इस ग्रन्थ के सम्यक अध्ययन के बिना कोई व्यक्ति सफल होम्योपैथिक-चिकित्सक हो ही नहीं सकता । महात्मा हैनीमैन का यह विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ सर्वप्रथम सन् 1810 ई० में प्रकाशित हुआ था। इस ग्रन्थ के प्रकाशित होते ही चिकित्सा-जगत में एक भारी हलचल मच गई थी तथा एलोपैथिक चिकित्सकों के छक्के छूट गये थे, साथ ही सहस्रों पाठक आनन-फानन में ही होम्योपैथी के परम भक्त बन गये थे। तब से अब तक संसार की प्रायः सभी प्रमुख भाषाओं में इस ग्रन्थ में सैकड़ों अनुवाद हो चुके हैं। इसकी उपादेयता एवं लोकप्रियता का यह सबसे बड़ा प्रमाण है। महात्मा हैनीमैन के जीवन काल में ही इस ग्रन्थ के आठ संस्करण प्रकाशित हो चुके थे तथा अपने नवीन अनुभवों के आधार पर उन्होंने इसमें आवश्यक संशोधन तथा परिवर्तन भी किये थे। इस प्रकार उन्होंने स्वयं ही इस ग्रन्थ को परिपूर्णता प्रदान कर दी थी। 'आर्गेनन' मूलतः जर्मन भाषा में लिखा गया था, इस ग्रन्थ में 291 सूत्र हैं, जिनके अर्न्तगत विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के गुण-दोष, रोग-परीक्षा लक्षण, औषध-निर्वाचन, पथ्यांपथ्य एवं चिकित्सा-विधि सम्बन्धी सभी विषयों पर विस्तृत विवेचन प्रस्तुत किया गया है। परन्तु सामान्य पाठक को मूल-ग्रन्थ के गहन-सूत्रों को समझने में कुछ कठिनाई का अनुभव होता है, अतः परवर्ती व्याख्याकारों ने उन सूत्रों की सरल व्याख्याएँ प्रस्तुत करने का प्रयत्न भी किया है।
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