प्राक्कथन
डॉ० बृज भूषण गोयल से मेरा करीब दो दशक पुराना संबंध है। मेडिकल लाइन के होते हुए भी उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा और योग के महत्व को समझते हुए जिस निष्ठा और श्रद्धा से उस का विधिवत् नियमित रूप से गम्भीर अध्ययन और चिंतन किया, वह अपने आप में एक सराहनीय कदम है। इसके पश्चात् आपने प्राकृतिक चिकित्सा को एक व्यवसाय न बनाकर स्वास्थ्य जन-जागरण के रूप में चलाना आरंभ किया। आप हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा में एक पत्रिका सुखी जीवन (Happy Life) का प्रकाशन करते आ रहे हैं, जो लोगों में निःशुल्क वितरित की जा रही है। 1988 से समय-समय पर अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शिविरों, सम्मेलनों एवं सेमीनारों का आयोजन कर व्यापक प्रचार-प्रसार किया। लाखों लोगों ने न केवल इन शिविरों एवं सेमीनारों से लाभ प्राप्त किया बल्कि आवश्यकता पड़ने पर अपने परिवार वालों की स्वयं चिकित्सा भी की। आपका यह जन-कल्याण अभियान आज भी जारी है तथा भविष्य में उसे जोर-शोर से जारी रखने का आप का निश्चय है। इसी उदेश्य से आपने अपने निवास स्थान के सामने विद्यार्थियों को क्रियात्मक ज्ञान देने के लिए प्राकृतिक स्वास्थ्य एवं योग केन्द्र भी स्थापित किया है। लोगों के विविध प्रकार के प्रश्नों का समाधान उन्हें एक ही पुस्तक में मिलें, इस के लिये उन की मांग बढ़ती गई। जिस के फलस्वरूप प्राकृतिक स्वास्थ्य और योग सम्बन्धी समस्त आवश्यकताओं को एक ही स्थान पर संकलित कर एक बृहद् पुस्तक प्रकाशित करने का आप को निर्णय लेना पड़ा। उसी निर्णय के आधार पर यह बृहद् ग्रंथ अब पाठकों के सामने प्रस्तुत है। माननीय लेखक ने सात्विक आहार और युक्ताहार-विहार को विशेष महत्व दिया है। आज का विज्ञान चाहे जितनी नई-नई दवाएँ खोज ले, मगर जब तक युक्ताहार-विहार और सात्विक आहार को मानव जीवन में प्राथमिकता नहीं दी जायेगी, नये-नये रोग पैदा होते रहेंगे। अभी कैंसर, एड्स इत्यादि रोगों से मानव समाज बुरी तरह त्रस्त है। उसने यदि अपने आहार-विहार में समय रहते उचित परिवर्तन नहीं किया तो उसे उसके दुष्परिणाम भुगतने के लिये भी तैयार रहना चाहिये। मुझे खुशी है कि लेखक महोदय डॉ० बृज भूषण गोयल व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ऊषा भूषण गोयल ने अपने जीवन में वर्षों से योग युक्त जीवन और सात्विक आहार को पूर्ण रूप से अपनाया है और उन दोनों के काम करने की क्षमता अद्भुत है तथा तन-मन-धन से, सब प्रकार से वे स्वस्थ, समृद्ध. और संतुष्ट हैं। यही कारण है कि उनकी वाणी और लेखनी का श्रोताओं और पाठकों पर विशेष प्रभाव पड़ता है।
लेखक परिचय
बृजभूषण गोयल ने वैश्य कालेज, मेडिकल कालेज रोहतक, इन्टरनेशनल फाउन्डेशन आफ नेचुरल हैल्थ एण्ड योग एवं अपोलो हास्पिटल एजुकेशनल एंड रिसर्च फाउन्डेशन से शिक्षा प्राप्त की तथा 1986 से अपक्वाहारी हैं। प्राक्तिक चिकित्सा एवं योग से सलाहकार एवं शिक्षक हैं। समय-समय पर 'सुखी जीवन' (Happy Life) पत्रिका एवं अन्य साहित्य निःशुल्क वितरित करते रहते हैं तथा देश-विदेश में विभिन्न स्थानों पर प्राकृतिक स्वास्थ्य एवं योग पर सेमिनार, व्याख्यान एवम् वर्कशाप करते आ रहे हैं।
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