पुस्तक परिचय
सेरची विनोद जोशी का साहित्य अकादेमी पुरस्कार (2023) प्राप्त प्रबंध-काव्य है, जिसे महाभारत को द्रौपदी को केंद्र में रखकर लिखा गया है। यह दीर्घ कविता 7 सर्ग, और 49 खंड में निवद्ध है। अज्ञातवास के दौरान सैरन्धी बनी द्रौपदी के मौलिक मनीसंचलन और भावनाओं की जब तक एक अस्पृष्ट रही दुनिया चोपाई और दोहरा जैसे छंदों के माध्यम से इस प्रबंध-काव्य में बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत की गई है। भारतीय भाषाओं के काव्य साहित्य में एक अनूठी प्रशिष्ट रचना के रूप में सैरन्धी विख्यात है। प्रबंध-काव्य सैरन्ध्री के लिए उनको भारतीय विद्या भवन, मुंबई द्वारा समर्पण सम्मान (2018), गुजरात साहित्य अकादमी अवॉर्ड (2018) गुजराती साहित्य परिषद् पुरस्कार (2018) और नर्मद सुवर्णचंद्रक (2022) भी प्रदान किए गए हैं।
लेखक परिचय
विनोद जोशी (1955) भारत और विदेशों में गुजराती भाषा के प्रशंसित और व्यापक रूप से स्वीकृत विशिष्ट कवि हैं। आपने भावनगर के महाराजा कृष्णकुमार सिंह जी विश्वविद्यालय में गुजराती अनुस्नातक विभाग में प्रोफेसर एवं अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और कुलपति के रूप में भी उसी विश्वविद्यालय का नेतृत्व किया। आप 2008 से 2012 और 2018 से 2022 के कार्यकाल के लिए साहित्य अकादेमी में कार्यकारी मंडल के सदस्य रहे। आपकी 10 से अधिक पुस्तकें हैं। आपने मुख्य रूप से कविता, कथा और आलोचना के क्षेत्र में काम किया है। विनोद जोशी की अधिकतर कविता ग्रामीण जीवन की छवियों से, विशेष रूप से स्त्री भावनाओं के चित्रण से मंडित है। कविताओं का आपका पहला संग्रह परंतु 1984 में कविलीक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित किया गया था। इसके बाद 1985 में प्रकाशित हुई दीर्घ कथात्मक कविता शिखंडी संस्कृत छंदों में लिखी गई उनकी रचना है
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