पुस्तक परिचय
चाणक्य और चन्द्रगुम ऐमे ऐतिहासिक तथ्य हैं जिनके बगैर भारतीय इतिहास का जहाँ प्रमाणिक इतिहास आरम्भ नहीं होता वहीं अनूठी राजनीति का शुभारम्भ भी नहीं होता। भारत में मगध नरेश के महामंत्री कौटिल्य की नीति को ही आज भी वास्तविक कूटनीति माना जाता है। जिसने अपनी कुटिल नीति से मगध जैसे विशाल साम्राज्य के सम्राट धनानन्द को एक साधारण क्षत्रिय पुत्र से ऐसी मात दिलाई जिससे नंद साम्राज्य हो क्या सम्पूर्ण नन्द वंश का ही पतन करा दिया था। उसके बाद उसी युवा चन्द्रगुप्त को उस महान् सिंहासन पर विराजमान करा दिया था। चाणक्य ने अपने पिता चंणक की हत्या और राजदरबार में हुये अपमान के कारण नन्द वंश को समूल नष्ट करने की प्रतिज्ञा की थी। अपनी कुटिल नीतियों के माध्यम से धनानन्द के भाइयों की हत्या करवाकर और सम्राट धनानन्द को प्राणों की भीख देकर साम्राज्य से निष्कासित करवा दिया था। इस ग्रन्थ में आपको जहाँ ई. पूर्व चतुर्थी शताब्दी के प्रथम चरण में भारतीय संस्कृति और सभ्यता के दर्शन करने को मिलेंगे वही संसार का वह अजूबा भी पढ़ने को मिलेगा जिसमें चाणक्य ने एक साधारण परिवार के लड़के से उस समय के महान नंद साम्राज्य को कसे मात दिलाई। यह थी चाणक्य सीति जिसमें एक पैदल से बादशाह दी बनवाया।
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