| Specifications |
| Publisher: Shri Lal Bahadur Shastri Rashtriya Sanskrit Vidyapeetha | |
| Author: Dr. Bhavanishankar Trivedi | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 290 | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 9.50 X 6.50 inch | |
| Weight 400 gm | |
| Edition: 2025 | |
| ISBN: 8187987308 | |
| NZA240 | |
प्रस्तुत ग्रन्थ का प्रकाशन एक विशेष उद्देश्य को दृष्टि में रखकर हाथ में लिया गया है । जो लोग राष्ट्र की परम्पराओं एवं मर्यादाओं में विश्वास रखते हैं, उनकी सदा से यह मांग रही है कि उन्हें शास्त्रीय पद्धति और आधुनिक दृष्टि से संपन्न कुछ ऐसी पुस्तकें उपलब्ध हों, जिनके सहारे सांस्कृतिक कृत्यों व संस्कारों आदि का सम्यक् सम्पादन किया जा सके । इस दृष्टि से विद्यापीठ की शोध एवं प्रकाशन समिति ने यह निर्णय किया कि कर्मकाण्ड पर एक ग्रन्थमाला के प्रकाशन का काम हाथ में लिया जाय । जिसके प्रथम पुष्प के रूप में डा० भवानी शंकर त्रिवेदी विरचित नित्य कर्म प्रकाश का प्रकाशन पहले हो चुका है । अब इस ग्रन्थ माला के द्वितीय पुष्प के रूप में उन्हीं के संस्कारप्रकाश नामक इस ग्रन्थ का प्रकाशन हो रहा है । पांच मयूखों में प्रकाशित इस ग्रन्थ के प्रथम मयूख में संस्कारों के सम्वन्ध में आवश्यक विवेचन-पूर्ण जानकारी द्वितीय में संस्कारों के पूर्वांग तथा आगे विवाह, प्राग्जन्म, शैशव एवं शैक्षणिक संस्कारों का वैज्ञानिक ढंगसे विस्तृत विवेचन, उपयो-गिता आदि दर्शाए गए हैं । शास्त्रीय पद्धति पर सम्पूर्ण विधि विधान ऊपर संस्कृत में तथा नीचे हिन्दी में दिया गया है । इस ग्रन्थ की एक विशेषता यह है कि इसमें पारस्कारगृह्यसूत्र का मूल पाठ प्रस्तुत करते हुए सूत्रांक भी साथ साथ दिये गये हैं । ऊपर मन्त्र मोटे टाइप में दिये गए हैं तथा नीचे प्रत्येक मन्त्र का सरल हिन्दी में अर्थ भी समझाया गया है । ग्रन्थ के लेखक डा० भवानी शंकर त्रिवेदी संस्कृत और हिन्दी के जाने माने लेखक हैं, उनके पास शास्त्रीय ज्ञान के साथ-साथ आधुनिक दृष्टि भी है । यही कारण है कि यह ग्रन्थ इस रूप में प्रकाशित हो सका है । इन्ही दो शब्दों केसाथ मैं यह पुस्तक पाठकों को समर्पित करता हूं ।
सम्पादकीय |
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