| Specifications |
| Publisher: Karnataka Historical Research Society | |
| Author Santosh Pathak | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 133 | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8.5x5.5 inch | |
| Weight 140 gm | |
| Edition: 2017 | |
| HBH550 |
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मानव जीवन का परम्लक्ष्य आत्मलाभ है 'आत्मलाभान्न परं विद्यते'। मानव जीवन की सार्थकता इसी आत्मोपलब्धि में ही समझी जाती है। उपनिषदों में आत्मा का निर्माण पंचकोशो से बताया गया है। अन्नमय, प्राणमय, मनॉमय, विज्ञानमय, तथा आनंदमय। प्रथम दो कोश तो जीव जंतुओं में समान रूप से उपलब्ध होते हैं. शेष तीन मानव जाति की सहज विभूति है। इन पाँचो में आनंदमय कोश की महत्ता सर्वाधिक है। भारतीय संगीत की विविधता ने उनकी सर्जना के शिल्पगत चमत्कार ने और उनके विकास की प्रभावक परंपरा ने विश्व को मोहा है।
कला का मूल स्रोत भाव है और भावात्मक सौन्दर्य का बौद्धिक माध्यम से विकास कला को स्थाइत्व प्रदान करता है। जिसके बारे में मनन, चिन्तन और अध्ययन करना अत्यावश्यक है। विषय के गर्भग्रह तक पहुंचने का यही एक मार्ग है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ यह विडम्बना ही है कि वह लगातार प्रयोगवादियों के हाथ का खिलौना रही है। आज आवश्यकता है कि भारतीय संगीत के प्रयोग के साथ ही उसके मूलरूप को बनाये रखा जाय।
भारतीय संगीत के बारे में विभिन्न प्रकार की भ्रांतिपूर्ण धारणायें तो हमेशा विद्यमान रही हैं, मेरी इस पुस्तक में संगीत विषय से संबंधित विभिन्न विषयों पर लेख के माध्यम से उन भ्रांतियों एवं प्रयोग धर्मिता पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है। आज जब भारतीय संगीत की हितग्राही विश्व में कहीं भी हो सकते हैं, अनेक तत्कालिक उत्प्रेरकों के बीच संगीत की शाश्वत निरंतरता उन तक पहुंचाने के परिणाम स्वरूप यह परिकल्पना कीगई है।
अंत में, उन सभी का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ जिन्होंने इस महती कार्य में मुझे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग किया है। मैं इस कार्य के लिये सर्वप्रथम अपने माता-पिता को धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ जिनकी प्रेरणा एवं आशीर्वाद से यह कार्य सम्भव हो पाया है। मेरे अनुज त्रिवेणी का धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ जिन्होंने हमें गृहस्थ के समस्त बंधनों जिम्मेदारियों से मुक्त रखा। मेरी बड़ी बहन समान श्रीमती रचना शर्मा, जिन्होंने चाहे प्रायोगिक पक्ष हो अथवा सैद्धांतिक, बड़ी ही विद्वता के साथ हमें मार्गदर्शन दिया। एवं इस कार्य को यहाँ तक पहुंचाने हेतु सम्बल दिया।
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