| Specifications |
| Publisher: National Book Trust India | |
| Author: टी. एम. पी. महादेवन (T.M.P. Mahadevan) | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 90 | |
| Cover: Paperback | |
| 8.5 inch X 5.5 inch | |
| Weight 120 gm | |
| Edition: 2018 | |
| ISBN: 9788123727745 | |
| NZD097 |
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प्रस्तावना
आदिकाल से ही इस देश में, जीवन के हर क्षेत्र में, असाधारण व्यक्तियों का प्रादुर्भाव हुआ देर। हमारा इतिहास ऐसे महान लोगों के नामों से भरा पड़ा है, जिनकी करा, साहित्य, राजनीति, विज्ञान ओर अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण देन रही हे । कितनों के नाम तो घर घर लोगों की जबान पर हे । इनमें से बहुत-से व्यक्ति ऐसे है जिनका सिर्फ नाम ही लोग जानते है, उनके जीवनवृत ओर कार्य के बारे में उनको बहुत कम ज्ञान हर । कुछ ऐसे भी हुए है जिनकी उपलब्धियां तो असाधारण हे, लेकिन उनके विषय की लोगों की जानकारी नगण्य है ।
किसी देश का इतिहास, बहुत अंश तक, उसके इन महान नर-नारियों का इतिहास देर । उन्होंने हर उसको गढ़ा, संवारा ओर उसका विकास किया । जनसाधारण के लिए यह आवश्यक हे कि इन विभूतियों के बारे में कुछ जाने, ताकि वह समझ सके कि अपने विकास की दिशा में देश किन चरणों से हो कर गुजरा है ।
इस देश में जन्म लेने वाले असाधारण व्यक्तियों में शंकराचार्य का स्थान बहुत ऊंचा है । बौद्धिक ओर शारीरिक दोनों ही दृष्टियों से उनके जीवन की उपलब्धियां इतनी विलक्षण थी कि उन पर सहसा विश्वास नहीं होता । एक प्रकार से उन्हें चमत्कारपूर्ण ही कहा जा सकता हे । उनकी गणना उन विभूतियों में की जाती है जिन्होंने अति अल्प काल में इतिहास ओर संस्कृति की धारा ही पलट दी । शंकराचार्य ने अपने अल्पकालीन किंतु ज्वलंत जीवन द्वारा इतिहास को जैसा मोड़ दिया वैसा शायद ही किसी दूसरे व्यक्ति ने दिया हो । उनकी प्रखर प्रतिभा उनके बाल्यकाल में ही चमक उठी थी ओर संसार को जो संदेश वे देने आए थे उनका आरंभ तभी से हो गया था । उन्हें विजय पर विजय मिलती ही चली गई ओर हिंदू धर्म के ढांचे की तो उन्होंने काया पलट ही कर दी । दार्शनिक विचारधारा के विकास में अद्वैत दर्शन की उनकी देन बहुत बड़ी थी । कोइ भी कसोटी हम सामने रखें, उनकी गणना संसार के अधिक-से-अधिक असाधारण ओर विशिष्ट व्यक्तियों में करनी होगी ।
इस पुस्तक के लेखक डा. टी. एम. पी. महादेवन शंकराचार्य पर न केवल प्रमाण देर, बल्कि अपनी प्रकृति ओर साधना के नाते स्वयं भी अद्वेतानुयायी है । दर्शन पर उन्होंने कई उत्कृष्ट पुस्तकें लिखी हैं ओर भारतीय धर्म ओर दर्शन को प्रतिष्ठित करनेकी दिशा में उन्होंने बहुत कुछ किया है। डा. महादेवन ने इस पुस्तक में शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन को सुबोध और आकर्षक रूप में पाठकों के सामने रखा है।
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विषय-सूची |
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प्रस्तावना |
सात |
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1 |
आविर्भाव और प्रारंभिक जीवन |
1 |
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2 |
कालडि से काशी |
12 |
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3 |
दिग्विजय |
19 |
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4 |
लक्ष्य की सिद्धि |
32 |
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5 |
शंकर का दर्शन |
41 |
|
शंकर की रचनांए |
53 |
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