सौन्दर्य-लहरी पद्यार्थ एक धार्मिक ग्रन्थ होने के नाते सर्वप्रथम आभार उस जगत् नियन्ता परमात्मा तथा जगज्जननी उस पराम्बा भगवती का है जिन्होंने मिलकर इस जगत् में पंच महाभूतों की उत्पत्ति की। तदुपरान्त आकाश से उच्चतर उस पिता तथा उनसे दशगुणी अधिक उस माता का, साथ ही इष्टदेव, कुलदेव, ग्रामदेव, वास्तु देव, स्थान देव, समस्त गुरुओं, मित्रों, सहयोगियों, चराचर जीव जगत्, वनस्पति, पशुओं का आभार। तदुपरान्त लेखन के समय कोई व्यवधान न आने पाये, समय से भोजन मिलता रहे इस सूक्ष्म व्यवस्था का ध्यान जिनके द्वारा रखा गया हमारी धर्म पत्नी माया मुरारी जो सिंह राशि का कड़ा स्वभाव होते हुये भी समय का सदुपयोग करवाने में अग्रगण्य रही हैं।
साथ ही चिन्तन प्रकाशन कानपुर यथा नाम तथा गुणाः के अनुसार सतत् चिन्तन एवं प्रकाशन होता रहे इसके लिए सारे प्रकाशन का आभार प्रकट करता हूँ।
सर्वाधिक आभार मैं उनका मानता हूँ जिस दिव्य महापुरुष ने वर्ष 2021 में हिम शैल की उत्तुंग चोटियों के बीच श्री मदादिशंकराचार्य जी जो 'सौन्दर्य-लहरी' के मूल लेखक हैं उनकी विशाल प्रतिमा को केदारनाथ में स्थापित करके सारे विश्व को चौंका दिया, ऐसे भारत के वर्तमान सर्वलोक प्रिय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी ।
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