वर्तमान समय विश्व में जहाँ ऊँच वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी अनुसरण है, खासकर सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) के आगमन के साथ ही वहाँ ऊँच पदासीन व्यक्ति चाहे सरकारी क्षेत्र में हैं या व्यापार एवं उद्योग क्षेत्र में, वे अत्यन्त तनावपूर्ण जीवन जी रहे हैं। नई और विशाल चुनौतियों का प्रतिदिन अनुभव कर रहे हैं। साथ ही प्रतिस्पर्धा और मजदूरों की समस्या, प्रशासन में बेईमान व्यक्ति जो भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार हैं। सिर्फ सन्तुलित नर या नारी जिनके पास अकृत्रिम नेतृत्व कला हो वे ही जीवन के इन भयंकर तूफानों से मुक्त रह सकेंगे अन्यथा भावनात्मक तनाव एवं आकुलता रूपी समय का बम स्वयं के लिए, परिवार के लिए, व्यापार एवं उद्योग के लिए खतरनाक हो सकता है। समय की अत्यन्त आवश्यकता है कि हम ऐसे कौशल एवं विधियाँ सीखें जो सरल हों, तर्कयुक्त एवं वास्तविक हों, जो व्यक्ति का सशक्तिकरण करें जिससे वह परिस्थिति में ऊँचा उठ कर सही समय पर सही निर्णय कर सके।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, मुख्यालय माउण्ट आबू में ब्रह्माकुमारी ऊषा, एक वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका है। जिन्होंने करीब 10 वर्षों से वर्तमान प्रशासन प्रद्धति में आध्यात्मिकता एक खुटती कड़ी है और उसका किस सुव्यस्थित तरीके से प्रशासन पद्धति में समावेश किया जाये, उसकी खोज की है। उद्योग जगत के डायरेक्टरों, वरिष्ठ प्रबन्धकों, प्रशासकों, राजनेताओं, अन्य बुद्धिजीवी लोगों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के अनुभवों तथा अपने अध्ययन और अनुसंधानों के आधार पर उन्होंने एक बहुत अनोखा कार्यक्रम विकसित किया है और उसे शब्दों में रखा है जिसको कहते हैं "स्व-प्रबन्धन नेतृत्व कार्यक्रम"। उनकी सरल, स्पष्ट शैली का वर्णन ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि एक कहानी है। जो एक बार कोई पढ़ना शुरू करते हैं तो अंत तक उसमें लीन रहते हैं। इस किताब में चिन्तन के लिए भरपूर आत्मिक भोजन है। इसमें ऐसे रुचिपूर्ण तथ्य हैं जो चिन्तन को प्रोत्साहित करते हैं, बुद्धि में शक्ति भरते हैं, भावनाओं को सन्तुलित रखते हैं, उमंग-उत्साह को बढ़ाते हैं एवं अपने हृदय को भरपूर करते हैं। उन्होंने इस तथ्य को स्पष्ट किया है कि "स्व परिवर्तन ही हर परिस्थिति को परिवर्तित कर देगा" उन्होंने संगठन को बनाए रखने के लिए जिन उदाहरणों से नेतृत्व कला का वर्णन किया है वह अति सराहनीय है। ब्रह्माकुमारी ऊषा ने एक गूढ़ विषय को "स्वयं और सम्पूर्ण प्रबन्धन कला" (Self & Total Quality Management) को सरल बोध कथाओं के द्वारा समझना आसान कर दिया है। अन्त में स्व-प्रबन्धन का 10 कदम का मॉडल बहुत अच्छी तरह समझाया है जिसे पढ़ने वाले प्रेरित होकर, अपने जीवन में प्रयोग करना अवश्य शुरू कर देंगे।
अन्त में मैं यही कहना चाहती हूँ कि जो व्यक्तिगत जीवन में सदाकाल की सफलता चाहते हैं एवं अपने पारिवारिक जीवन में सम्पन्नता, व्यापार एवं उद्योग में या किसी भी कार्यक्षेत्र में सुधार लाना चाहते हैं, उनके लिए ये विचार 100 प्रतिशत वरदान सिद्ध होंगे। मेरी शुभकामनायें ब्रह्माकुमारी ऊषा के साथ हैं कि इस सुन्दर कार्य को व्यापार एवं उद्योग जगत की सेवा हेतु प्रसारित करती रहें।
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