पुस्तक परिचय
सौ बरसों का प्रेम प्रस्तुत पुस्तक लेखक की सशक्त व महत्त्वपूर्ण नयी कहानियों का संग्रह है। चर्चित कथाकार रणीराम गढ़वाली की कहानियां मानवीय संवेदनाओं को झकझोरती हुई आंखों के रास्ते अंदर मन में कहीं गहराई तक पहुंचने पर एक अनोखी और अनजानी-सी टीस पैदा करती हैं। इन कहानियों को पढ़ते हुए ऐसा लगता है मानो कथाकार ने ये कहानियां हमको केंद्र में रख कर ही रची हैं। जैसे-जैसे हम इन कहानियों को पढ़ते हुए आगे बढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे प्रत्येक कहानी की वैविध्यता, शिल्प व भाषा में डूबते हुए हमें अपने आपको इन कहानियों में किसी-न-किसी रूप में जुड़े होने का आभास होने लगता है और हम स्वयं को अनायास ही कहानी का एक पात्र समझने लगते हैं। पहाड़ी जन-जीवन के परिवेश को ले कर जो द्वंद्व व कशमकस इन कहानियों में है, शायद ही वह किसी दूसरे कथाकार की कहनियों में देखने को मिले। इन कहानियों को पढ़ते हुए पहाड़ी जन-जीवन हमारी आंखों के आगे तैरने लगता है और पाठक इन कहानियों के चरित्र-चित्रण व पात्रों के द्वारा सीधे जीवन के मर्म में उतरता चला जाता है। यही विशेषता है प्रस्तुत संग्रह में संकलित इन कहानियों की। शुरु से अंत तक बेहद रोचक और पठनीय कहानियों का संकलन।
लेखक परिचय
नाम रणीराम गढ़वाली जन्म: 06 जून, 1957 को ग्राम-मटेला घन्डियाल, बैजरी, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) में लेखक की कई काहानियों का कन्नड़, तेलुगू, असमिया, और उर्दू भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं। प्रकाशित पुस्तकें कहानी संग्रह: 'मेरी चयनित कहानियां', 'मेरी 31 कहानियां', 'पखेरू', 'पतली गली का बंद मकान', 'पहाड़ बोलते हैं शिखरों के बीच', 'आसमान रो पड़ा', 'खंडहर', 'बुरांस के फूल', 'देवदासी', 'बदसूरत आदमी', 'पिता ऐसे नहीं थे', 'मेरी चुनिंदा कहानियां'. 'उत्तराखंड कथा समय' (उत्तराखंड के 50 कथाकारों की कहानियों का संकलन) (संपादित). 'सौ बरसों का प्रेम', और 'आधा हिस्सा' (लघुकथा संग्रह) उपन्यास : 'सिसकते पहाड़', 'एकांत के वे पल', और 'अब नहीं' कविता संग्रह: 'हस्ताक्षर' पुरस्कार / सम्मान साहित्यालंकार की उपाधि से सम्मानित.
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