| Specifications |
| Publisher: SANATAN SANSTHA | |
| Author Jayant Balaji Athavale | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 73 | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 5.5x4.5 | |
| Weight 44 gm | |
| Edition: 2023 | |
| ISBN: 9789389098877 | |
| HBH160 |
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'सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु । उदारु अंग विभूषणम् ॥....' देवता भी अलंकारोंसे विभूषित होते हैं। स्त्रीके लिए अलंकार केवल शोभाकी वस्तु नहीं; अपितु उसकी सुन्दरता एवं शालीनता की रक्षा हेतु सहस्रों वर्ष पूर्व मिली अनमोल सांस्कृतिक देन हैं। इस लघुग्रन्थमें शास्त्रसहित बताया गया है कि अलंकार स्त्रीको ईश्वरीय चैतन्य प्रदान करनेवाला तथा उसमें विद्यमान देवत्व जागृत करनेवाला एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
वर्तमान कलियुगमें लगभग प्रत्येक व्यक्ति न्यून-अधिक मात्रामें अनिष्ट शक्तियोंसे पीडित है। यहां बताया गया है कि सामान्यतः पूर्वज, अनिष्ट शक्तियोंकी पीडा इत्यादि कष्टसे रक्षा करनेमें अलंकार कितने महत्त्वपूर्ण हैं। केवल अलंकारोंकी अपेक्षा उन्हें समय-समयपर विभूति लगाकर धारण करना कितना श्रेयस्कर है, यह एक साधिका द्वारा इस सन्दर्भमें किए गए सूक्ष्म ज्ञानसम्बन्धी प्रयोगोंसे स्पष्ट होता है।
इससे शुद्धिके महत्त्वका भी बोध होता है। स्त्रियोंके विविध अलंकार, उनका महत्त्व एवं उन्हें धारण कर किए गए सूक्ष्म ज्ञानसम्बन्धी प्रयोगोंका विवेचन अलंकार सम्बन्धी पृथक ग्रन्थोंमें किया गया है । 卐
श्री गुरुचरणोंमें प्रार्थना है कि इस लघुग्रन्थद्वारा अलंकारों के एवं ऐसी चैतन्यमय देन प्रदान करनेवाले हिन्दू धर्मके महत्त्वका बोध हो ।
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