कंपनी शुरू करने का विचार भारत में कभी इतना लोकप्रिय नहीं रहा। देश में उद्यमियों की एक नई नस्ल उभर रही है, जो घरेलू नायकों से प्रेरित है, असाधारण परिणाम हासिल करने के लिए प्रेरित है और एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा समर्थित है जो साहसी विचारों को समर्थन देने के लिए तैयार है।
यदि आप अपनी खुद की स्टार्टअप यात्रा शुरू करना चाहते हैं, भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में रुचि रखते हैं या केवल व्यवसाय के छात्र हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए है।
संचिता कुशवाह का जन्म 4 जून, 1974 को मध्य प्रदेश के भिण्ड जिले में प्रो. विश्वम्भर सिंह कुशवाह (पूर्व प्राध्यापक एम.जे.एस. महाविद्यालय) व राजा बेटी सिंह कुशवाह के यहाँ हुआ। आपने स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद दो विषयों इतिहास तथा समाजशास्त्र में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 2008 में बी.एड. की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 2003 में विवाह के पूर्व आपने भिण्ड के एम.जे.एस. महाविद्यालय में अध्यापन कार्य भी किया। विवाह के पश्चात् आप अपने पति डॉ. वीरेन्द्र सिंह बघेल के साथ पिछले आठ वर्षों से लेखन कार्य में संलग्न हैं। अब तक उच्च शिक्षा पर लगभग 10 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
भारत में अपना खुद का स्टार्टअप कैसे शुरू करें। स्टार्टअप एक अच्छा विकल्प है अगर आप अपने स्वयं की बिजनेस शुरू करना चाहते हैं। यह आपको अपने स्वयं के नियंत्रण में अपने व्यवसाय को चलाने की अनुमति देता है और आपको अपने स्थानों पर स्वतंत्रता देता है। हालांकि, स्टार्टअप शुरू करना एक मुश्किल समय हो सकता है और आपको बहुत सारी चुनौतियां और समस्याएं सामने आ सकती हैं। लेकिन हमारा यह लेख आपकी मदद करेगा और आपको स्टार्टअप शुरू करने के लिए जानकारी और उपयोगी टिप्स देगा।
स्टार्टअप के लिए मजबूत आईडिया का होना बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। आईडिया के होने से लगभग आधा कार्य पूर्ण हो जाता है इसलिए कोई भी स्टार्टअप के लिए आईडिया का मजबूत होना आवश्यक है। स्टार्टअप आईडिया को लोगों को शेयर करने से उनके अनुभवों के द्वारा उनमें सुधार किया जा सकता है। स्टार्टअप आईडिया से प्रॉफिट एंड लॉस के बारे में पूर्वानुमान किया जा सकता है जिससे वह ऋण में होने वाले नुकसान से बच सकते हैं।
स्टार्टअप आईडिया के द्वारा लोगों को शेयर करने से मार्केट में जो चल रहे उनके अनुसार स्टार्टअप्स का पता लगाया जा सकता है कि यह शत-प्रतिशत ग्रोथ करेगा। कोई भी स्टार्टअप शुरू करने से पहले उसकी मार्केट रिसर्च करना काफी ज्यादा अनिवार्य है क्योंकि अगर बिना मार्केट रिसर्च किए व्यक्ति अपना स्टार्टअप शुरू कर देता है तो उन्हें नुकसान भी हो सकता है।
रिसर्च करने की शुरुआत आप अपने प्रोडक्ट या सर्विस के द्वारा जाँच कर सकते हैं हक यह प्रोडक्ट मार्केट में चलने लायक है या नहीं, इसकी डिमांड है या नहीं। ऐसी बातों को ध्यान में रखकर स्टार्टअप के लिए मार्केट रिसर्च करना जरूरी होता है। स्टार्टअप शुरू करने से पहले एक बिजनेस मॉडल भी तैयार करना जिससे मार्केट सर प्लस का अनुमान हो सके जिससे कि जो प्रोडक्ट या सर्विस रहेगी वह बिजनेस में किस प्रकार काम करेगी। इसलिए कोई भी स्टार्टअप के लिए बिजनेस मॉडल का तैयार करना काफी जरूरी होता है।
स्टार्टअप को प्रोसेस करना एवं रजिस्टर करना ताकि पूरा ध्यान केंद्रित होकर स्टार्टअप की ओर अग्रसर हो सके और उसके साथ ही आपके स्टार्टअप को रजिस्टर्ड करने से कोई दूसरा आपके स्टार्टअप को चुरा नहीं सकता जिससे आपको बिजनेस में आगे बढ़ोतरी मिल सके इसलिए स्टार्टअप को प्रोसेस करना और उसे रजिस्टर्ड करने से। स्टार्टअप के लिए फंडिंग बहुत ही महत्त्वपूर्ण कार्य है। इसमें सब कुछ होने के बाद अगर फंडिंग की व्यवस्था ना हो तो वह स्टार्टअप सुचारु रूप से नहीं चल सकता है। स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग की व्यवस्था सरकारी योजनाओं के द्वारा, बैंकों द्वारा लोन, बिजनेस क्रेडिट कार्ड फॉर स्टार्टअप, स्टार्टअप इंडिया बीज निधि योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY), इन्क्यूबेटर सेंटरों से स्टार्टअप फंडिंग लाभार्थी सूक्ष्म इकाई उद्यमी की वृद्धि/विकास और वित्त पोषण की जरूरतों को दर्शाने के लिए योजना के तहत लाभों को 'शिशु', 'किशोर' और 'तरुण' के रूप में तीन श्रेणियों के तहत वर्गीकृत किया गया है-
शिशु-रुपये तक के ऋण को कवर करना। 50,000/-
किशोर-रुपये से ऋण को कवर करना। 50,001 से रु. 5,00,000/-
तरुण-रुपये से ऋण को कवर करना। 5,00,001 से रु. 10,00,000/-
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है। यह योजना रुपये तक के माइक्रो क्रेडिट/ऋण की सुविधा देती है। विनिर्माण, प्रसंस्करण, व्यापार या सेवा क्षेत्र में गैर कृषि क्षेत्र में लगे सूक्ष्म उद्यमों को आय पैदा करने वाले सूक्ष्म उद्यमों के लिए 10 लाख। MUDRA सूक्ष्म और लघु संस्थाओं की गैर-कॉरपोरेट, गैर-कृषि क्षेत्र की आय-अर्जक गतिविधियों को ऋण देने के लिए वित्तीय मध्यस्थों का समर्थन करता है।
स्टार्टअप्स को डिजिटल बनाने के लिए उनमें नई तकनीकों का समावेश करके अपने स्टार्टअप्स को डिजिटलकरण से आगे बढ़ाया जा सकता है-आसानी से नई तकनीक जैसे खुद का ऐप बनवा कर या वेबसाइट बनवा कर या फिर अखबार व न्यूजपेपर में पब्लिसिटी करके, ऐड चलवा कर इस प्रकार अपने स्टार्टअप को डिजिटल करके आगे बढ़ाया जा सकता है। भारत में अपना खुद का स्टार्टअप शुरू करने का संभवतः एक महत्त्वपूर्ण और सफल उद्यम हो सकता है।
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