| Specifications |
| Publisher: Gita Press, Gorakhpur | |
| Author: राजेंद्र कुमार धवन: (Rajendra Kumar Dhavan) | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 80 | |
| Cover: Paperback | |
| 8.5 inch X 5.5 inch | |
| Weight 60 gm | |
| Edition: 2014 | |
| GPA151 |
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प्राक्कथन
बालक हो, युवा हो अथवा वृद्ध हो, सबकी कहानियाँ सुननेमें स्वाभाविक रुचि रहती है । समाजके उत्थान और पतनमें कहानियाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं । सन्तोंके मुखसे निःसृत कहानियाँ जहाँ समाजमें अमृत (सद्गुण सदाचार) की गंगा बहाती हैं, वहीं सांसारिक उपन्यास, सिनेमा, टेलीविजन आदिके द्वारा प्रसारित कहानियाँ समाजमें विष (दुर्गुण दुराचार) की सरिता बहाती हैं । बालककी प्रथम गुरु माँ भी कहानियोंके माध्यमसे ही उसके कोमल हृदयमें अच्छे संस्कार जाग्रत् करती है, जो उसके भावी जीवनको उन्नत बनानेमें सहायक होते हैं ।
पारमार्थिक विषयको सरलतासे समझनेमें भी कहानियाँ बहुत सहायक होती हैं । पौराणिक कहानियों (कथाओं) का भी यही तात्पर्य है कि पारमार्थिक विषय सरलतासे समझमें आ जाय । कठिन से कठिन पारमार्थिक बातोंको भी कहानियोंके सहारे सुगमतापूर्वक समझकर जीवनमें उतारा जा सकता है । कहानियोंके द्वारा मित्रसम्मित अथवा कान्तासम्मित उपदेश प्राप्त होता है, जो मनुष्यको स्वभावत: प्रिय होता है । इसलिये श्रद्धेय श्रीस्वामीजी महाराज अपने प्रवचनोंमें मार्मिक विषयको समझानेके उद्देश्यसे अनेक कहानियाँ कहा करते हैं, गे आबालवृद्ध सभी श्रोताओंके हृदयपर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं । उनमेंसे बत्तीस कहानियोंका संकलन पहले आदर्श कहानियाँ के नामसे प्रकाशित हो चुका है । अब तीस कहानियोंका संकलन प्रस्तुत पुस्तकके रूपमें प्रकाशित किया जा रहा है । आशा है, पाठकगण इन रोचक एवं ज्ञानप्रद कहानियोंको पसन्द करेंगे और इनकी शिक्षाओंको अपने जीवनमें उतारनेकी चेष्टा करेंगे ।
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विषय सूची |
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1 |
बुद्धिमान् बनजारा |
5 |
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2 |
ठण्डी रोटी |
7 |
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3 |
सन्तोंकी शरण |
9 |
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4 |
मरकर आदमी कहाँ गया? |
11 |
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5 |
एक फूँककी दुनिया |
13 |
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6 |
चार साधु और चोर |
15 |
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7 |
सच्चा स्वाँग |
20 |
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8 |
महलमें कमी |
24 |
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9 |
हीरेका मूल्य |
26 |
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10 |
इन्द्रकी पोशाक |
31 |
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11 |
असली गहना |
32 |
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12 |
कंजूसीका परिणाम |
36 |
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13 |
जब साधु राजा बना |
38 |
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14 |
दूसरेका कल्याण कौन कर सकता है |
40 |
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15 |
निन्यानबेका चक्कर |
41 |
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16 |
गधेसे मनुष्य बनाना |
43 |
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17 |
रात कैसी बीती |
45 |
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18 |
ससुरालकी रीति |
47 |
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19 |
अब छाछको सोच कहा कर है! |
50 |
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20 |
वहम मिट गया |
53 |
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21 |
विलक्षण अतिथि सत्कार |
55 |
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22 |
एक शहरमें चार साधु |
58 |
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23 |
चार आशीर्वाद |
60 |
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24 |
आज्ञापालनकी महिमा |
61 |
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25 |
विलक्षण साधना |
63 |
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26 |
हल्ला मत करो |
67 |
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27 |
जगत्की प्रीत |
68 |
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28 |
सौ रुपये की एक बात |
70 |
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29 |
बोला तो मरा! |
73 |
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30 |
त्यागके आदर्श (सच्ची घटनाएँ) |
75 |




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