जगदीश चंद्र बोस को 'भारत में आधुनिक विज्ञान का जनक' माना जाता है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, इंग्लैंड से भौतिकी की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने शोध कार्य करने के लिए अपने देश को चुना था। अत्यधिक प्रतिरोध के बावजूद उन्होंने अपनी प्रयोगशाला को स्थानांतरित करने के लिए पश्चिम से मिले कई आकर्षक प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया। जगदीश चंद्र बोस न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर में शोध के ऊँचे मानक स्थापित किए थे।
तत्कालीन वैज्ञानिक जगत के महानतम लोगों ने उनके शोध की अथक प्रशंसा की, जबकि उन्हें अपने ही देश में उतना सम्मान नहीं मिला, जिसके वह हकदार थे। वह एक राष्ट्रवादी थे, उन्होंने भारत में आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए मंच तैयार किया। उनके कई छात्रों को वैज्ञानिक योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। सर जे. सी. बोस ने अपनी आखिरी साँस तक वैज्ञानिक शोध किया। अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ भले ही उन्होंने बड़े राजनीतिक आंदोलनों में भाग नहीं लिया, लेकिन प्रतिरोध का उनका अपना तरीका बेहद अनूठा था।
इस जीवनी को प्रकाशित करने का उद्देश्य सर जे.सी. बोस के जीवन और विचारों को लोगों के सामने प्रस्तुत करने का एक प्रयास है ताकि लोग उनके जीवन से प्रेरणा ले सकें। मैं यह दावा नहीं करता कि यह सर जगदीश चंद्र बोस की संपूर्ण जीवनी है। ऐसे महान व्यक्ति के जीवन को कुछ पन्नों में समेटा नहीं जा सकता। यह पुस्तक भारतीय इतिहास के एक महान व्यक्तित्व के जीवन पर प्रकाश डालने का प्रयास मात्र है, जिन्हें हम लगभग भूल चुके हैं। इस पुस्तक पर शोध और लेखन करते समय मैं कई बार भावुक हुआ, रोमांचित हुआ, गर्व महसूस किया। पुस्तक लिखने में मैंने अपने स्वयं के अनुभवों, पूर्वाग्रहों और विचारों को एक तरफ रखने की पूरी कोशिश की है। मेरा प्रयास उनके जीवन की घटनाओं, उनके विचारों, उनके समय और उनके समकालीनों के माध्यम से उनके व्यक्तित्व को प्रस्तुत करना है।
जगदीश चंद्र बोस की जीवनी लिखने की प्रक्रिया मेरे लिए जीवन बदलने वाले अनुभव जैसी रही है। इसकी शुरुआत 2015 में हुई जब मैं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर में काम कर रहा था। प्रोफ़ेसर जगदीश चंद्र बोस के बारे में अधिक जानने की इच्छा जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च, बैंगलोर के प्रोफ़ेसर सीएनआर राव के साथ चर्चा के दौरान प्रज्ज्वलित हुई और जैसे-जैसे मैं प्रोफ़ेसर बोस के बारे में खोजता गया, यह इच्छा तीव्र होती गई। प्रोफ़ेसर बोस के कार्यों और संबंधित शैक्षणिक सामग्रियों के समृद्ध अभिलेखागार के लिए मैं कोलकाता स्थित बसु विज्ञान मंदिर का बहुत आभारी हूँ। उन्होंने प्रोफ़ेसर बोस के शैक्षणिक और व्यक्तिगत लेखन के संग्रह को आचार्य जेसी बोसः एक वैज्ञानिक और एक स्वप्नद्रष्टा के रूप में कई खंडों में प्रकाशित किया है। मैं बोस इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफ़ेसर उदय बंद्योपाध्याय का बहुत आभारी हूँ कि उन्होंने बोस इंस्टीट्यूट के अभिलेखीय ग्रंथों से उद्धरण और चिल्लों के उपयोग की अनुमति प्रदान की।
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