आयुर्वेद आयु व आरोग्यता प्रदान करता है तथा रोगों को नष्ट करता है। आयु की वृद्धि करता है, यह भी वेद का एक अंग है। इसी में षट्शास्त्र और अष्टादशपुराण परमब्रह्म ने अपने हृदय से प्रकट किए हैं। यह दीर्घायु प्रदान करने वाला शास्त्र है। एकैक संहिता में लाखों श्लोक एवं सहस्रों अध्याय हैं।
ब्रह्मा ने आयुर्वेद शास्त्र के आठ भाग किए फिर भी सुगमता के लिए कोष और निघंटु की प्रधानता रखी। दक्ष प्रजापति को योग्य समझकर आयुर्वेद का उपदेश दिया। देवताओं में श्रेष्ठ अश्विनी कुमारों को आयुर्वेद संहिता विस्तार पूर्वक पढ़ाई। जिसके अभ्यास से अश्विनी कुमार तैंतीस करोड़ देवताओं के वैद्य हुए। ब्रह्मा का कटा हुआ मस्तक जोड़ा। देवताओं के अंग भी जोड़ कर व्रण रहित किया। इन्द्र की भुजा का कष्ट हरा। इन्द्र ने इनके अद्भुत कर्मों को देखकर अश्विनी कुमारों से यह शिक्षा पाने के लिए प्रार्थना की। इन्द्र की प्रार्थना से प्रसन्न हो विस्तार सहित इन्द्र को पढ़ायी। भारद्वाज, अंगीरा आदि अनेक महर्षि लोगों ने आनन्दपूर्वक अश्विनी कुमारों की प्रशंसा की और कहा मनुष्य के धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चतुर्वर्ग के साधन का मूल यह शरीर है। यदि यह शरीर स्वस्थ है तो साधक सिद्ध कर सकता है। यदि शरीर रोगग्रस्त है तो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष उपलब्ध करना कठिन ही नहीं, असंभव है।
आयुर्वेद में कोष और निघंटु की प्रधानता है। अतः निघंटु का अध्ययन-मनन प्रत्येक वैद्य को करना अत्यन्त आवश्यक है। जिस वैद्य ने सुश्रुत, वाग्भट्ट, चरक शिक्षा प्राप्त नहीं की, वह वैद्य नहीं है। 'आयुर्वेद शास्त्र' में अनेक ग्रंथ हैं; किन्तु कलियुग के लिए अष्टांग हृदय संहिता का अध्ययन परम आवश्यक है। ऋषियों ने अपने-अपने नाम की पृथक-पृथक संहिताएं निर्दिष्ट की जैसे-अत्रि संहिता, वाग्भट्ट संहिता आदि रची है। माधव निदान, माधवकर का रचा हुआ है।
रसेन्द्र चिंतामणि रसग्रन्थ है। इसी प्रकार चक्रवतसंग्रह, चक्रपाणिदत्त का लिखा हुआ है।
निघंटु भी कई हैं। जैसे- निघंटु रत्नाकर, राजनिघंटु, निघंटु चूडामणी, निघंटु संग्रह, धन्वंतरि निघंटु, वैदिक निघंटु, गण निघंटु, चन्द्रिका निघंटु, सोदल निघंटु आदि कई भागों में विभक्त कर ऋषियों ने रचे हैं। उनका परिश्रम किया हुआ हमारे लिए अनुपम उपयोगी है। मुझे अनेक भाषाओं का अभ्यास नहीं है। केवल हिन्दी और संस्कृत में ही मेरी रुचि रही है। मैंने एक पुस्तक शिशु रोग चिकित्सा विषयक लिखी। उसे देखकर 'राजस्थान पत्रिका' दैनिक समाचार पत्र के प्रधान संपादक श्री गुलाब कोठारी प्रभावित हुए और उन्होंने प्रोत्साहित किया कि आप बहुत-सी जड़ी बूटियों के ज्ञाता हैं। ये जड़ी बूटियां गरीब जन समुदाय को लाभान्वित कर सकती हैं। अतः आप जड़ी-बूटियों के गुण, नाम, प्राप्ति स्थान, उनके उपयोग की विधि तथा किस रोग के लिए कौन-सी जड़ी-बूटी हितावह है आदि सभी जानकारी लिखकर जन सहयोग करें।
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