मैं एक फैमिली डाक्टर स्त्री हूँ। व्यक्तियों और राष्ट्र के स्वास्थ्य को अच्छा बनाने में सहायता देने के लिए मैं अपनी लेखनी का प्रयोग कर रही हूँ। इससे मुझे बड़ी प्रसन्नता होती है । कोई राज्य तब तक सुस्थ और नीरोग नहीं हो सकता, जब तक उसका एक-एक व्यक्ति नोरोग न हो। और व्यक्ति स्वास्थ्य के नियम सीखकर, उन पर आप आचरण करके और अपने उपार्जित ज्ञान को दूसरों में फैला कर राष्ट्रीय स्वास्थ्य को उन्नत करने में सब से अच्छी सहायता दे सकते हैं ।
स्वास्थ्य मध्यम होने पर भी अच्छा काम कर सकना और सुखपूर्वक रहना संभव है। परन्तु ये दोनों बातें बहुत अधिक आसानी से हो जाती हैं, यदि मनुष्य के अपूर्ण रूप से काम करते हुए शरीर-यन्त्र के दुःखी माँस-तन्तु उसे तंग न करें।
इसके अतिरिक्त रोग की चिकित्सा की अपेक्षा रोग को होने ही न देना अधिक अच्छा है। यदि मनुष्य अपन । स्वास्थ्य ठीक, काम-काज करते रहने वाला बनाए रक्खे तो वह अनेक गम्भीर व्याधियों से बचा रह सकता है। रोग को रोकने वाली दवाई ने गत १०० वर्ष में बड़ी प्रगति की है। हम श्राशा करते हैं यह और भी विजय प्राप्त करेगी। यह लक्ष्य और भी अधिक कार्यकारी हो जाय, यदि सब लोग अपने शरीर को नीरोग धौर मन को सुस्थ रखने का दृढ़ संकल्प कर लें ।
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