पर्यटन भूगोल, भूगोल की नवीनतम एवं महत्त्वपूर्ण शाखा है जिसका व्यवहारिक उपयोग 1980 के दशक के बाद हुआ। पर्यटन तथा यातायात के तीव्रगामी साधनों ने विश्व को आज एक-दूसरे के समीप ला दिया है। इसके साथ ही 1990 के दशक की आई० टी० क्रान्ति ने विश्व को और नजदीक ला दिया। आज विश्व मंदी के दौर से गुज़र रहा है। अनेक उद्योग धन्धे बंद होते जा रहे हैं, जिससे रोजगार के अवसर निरन्तर घटते जा रहे हैं। फलतः पर्यटन को अब पूरे विश्व द्वारा उद्योग का दर्जा दिया जा रहा है। ताकि इस क्षेत्र के द्वारा अपने देश की अर्थव्यवस्था बढ़ाई जा सके। इसी के संदर्भ में पर्यटन भूगोल की मांग बढ़ रही है। पर्यटन भूगोल को दिल्ली विश्वविद्यालय सहित कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में बी०ए० भूगोल के अन्तर्गत समाहित कर लिया गया है। प्रस्तुत पुस्तक 'पर्यटन भूगोल' पर्यटन के क्षेत्र में भूगोलवेत्ताओं तथा विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करने में सफल होगी। उत्तरी भारत के अधिकांश राज्यों की मातृभाषा हिन्दी होने के कारण विद्यार्थियों में प्रस्तुत पुस्तक की कमी खल रही थी। अंग्रेज़ी भाषा में पुस्तक उपलब्ध होने के बावजूद विद्यार्थियों की यह मांग हो रही थी कि अंग्रेज़ी भाषा की कठिनता को ध्यान में रखते हुए हिन्दी भाषा में पर्यटन भूगोल को उपलब्ध कराया जाए। इसी संदर्भमें पर्यटन भूगोल को हिन्दी भाषा में उपलब्ध कराया गया है। आज की व्यस्त और तनावपूर्ण जीवन शैली में मनुष्य बुरी तरह उलझकर रह गया है, जीवन में व्यस्तता और तनावों के दबाव को कम करने के लिए आनन्द एवं उमंग के लिए आजकल पर्यटन को महत्त्व दिया जाने लगा है। पर्यटन संस्कृति आजकल विश्व सहित भारत में भी तेजी से पांव रख रही है। पर्यटन के द्वारा मेजबान एवं मेहमान दोनों को आर्थिक फायदा होता है। अतः यह पुस्तक विद्यार्थियों के अलावा पर्यटकों के लिए भी लाभदायक है।
इस प्रकार यह पुस्तक पर्यटकों, भूगोलवेत्ताओं, शिक्षकों तथा छात्रों के असंख्य प्रश्नों, आकांक्षाओं एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही लिखी गई है। निश्चय ही यह एक चुनौती भरा कार्य था किन्तु दृढ़ निश्चय द्वारा कई कठिनाइयों का सामना करने के पश्चात् ही उपयोगी पुस्तक का प्रारूप तैयार हुआ है। हमारी यह भरपूर कोशिश रही है कि पर्यटकों तथा छात्रों को किसी प्रकार की असुविधा न हो तथा सभी आवश्यक जानकारियां इस पुस्तक के माध्यम से एक ही जगह प्राप्त हो जायें।
मैं श्री सुधिर कुमार, असिस्टैन्ट डायरेकटर इन्डिया टूरिज्म, डॉ० जे०एल भट्ट प्रिंसिपल, स्वामी श्रद्धान्द कालेज, प्रो० एस० के० अग्रवाल अध्यक्ष, भूगोल विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ० एम० एस० एस० रावत रीडर एच० एन बी० गढ़वाल विश्वविद्यालय, डॉ० पी० वी० खत्री एवं बड़े भाई साहब धर्मबीर सिंह का बहुत आभारी हूँ जिन्होंने अमूल्य सहयोग प्रदान कर इस पुस्तक की छवि एंव गरिमा में चार चाँद लगा दिये है। अन्त में मैं अपने सभी परिवारजनो, त्रदीप कुमार एवं इन्द्रजीत कौर को भी धन्यवाद देना चाहूँगा जिन्होंने मेरी इस कार्य में मदद की। मैं अपने प्रकाशक श्री तिवारी का भी धन्यवाद करना चाहूँगा जिन्होंने कम समय में इस पुस्तक को प्रकाशित करके अपनी प्रकाशन कला का अद्भूत परिचय दिया है।
मुझे पूर्ण आशा है कि यह पुस्तक अपने उद्देश्य को पूर्ण करने में सफल होगी तथा भारत सरकार, राज्य सरकारों, विश्वविद्यालयों एवं निजी संस्थाओं द्वारा संचालित शोध, स्नातक एवं डिप्लोमा स्तरीय विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं एंव अध्यापन कार्य के लिए बहुत ही लाभकारी एवं उपयोगी साबित होगी।
अंत में यह 'पुस्तक' मूलतः स्नातक (B.A.) स्नातकोत्तरों (M.A.) तथा होटल मैनेजमेंट के विद्यार्थियों के लिए लिखी गई है परन्तु पर्यटन के शौकीन व्यक्तियों के लिए भी यह पुस्तक काफी रोचक एवं लाभदायक है। यह पुस्तक उपर्युक्त सभी वर्गों के लिए काफी लाभदायक होगी; इसके बावजूद इस संदर्भ में आपके सुझाव आमंत्रित हैं।
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