पुस्तक परिचय
तुममें मैं सतत प्रवाहित हूँ
मुक्तिबोध को जो छोटा-सा जीवन मिला उसके शीन प्रमुख पड़ाव रहे हैं। एक शुजालपुर-उज्जैन का, दूसरा नागपुर का, जो सारी दिक्कतों के बाद भी सबसे उर्वर सृजनात्मकता का काल है और तीसरा राजनांदगाँव का जहाँ लम्बी जद्दोजहद के बाद पहली बार उन्हें बेहतर जीवन स्थितियाँ मिलीं जहाँ उन्होंने अपनी सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण रचनाओं का अन्तिम प्रारूप तैयार किया और कई महत्त्वपूर्ण रचनाएँ लिखीं। इसके अलावा मुक्तिबोध धोड़े-थोड़े समय के लिए कई जगह रहे। जीवन की अस्थिरताओं और बदलती नौकरियों के चलते उनकी भटकन के कई दीगर पड़ाव भी रहे हैं। इन्दौर का हवाला कुछ संस्मरणों में मिलता है। जबलपुर के सन्दर्भ में मलय ने एक पूरा संस्मरण ही लिखा है। हरिशंकर परसाई के संस्मरण में भी इसके हवाले मौजूद हैं। बनारस, इलाहाबाद और कलकत्ता की यात्राओं और वहाँ गुजारे समय के सन्दर्भ लगभग नदारद हैं। बनारस के एक प्रसंग का जिक्र रमेश मुक्तिबोध ने किया है। श्रीपतराय की 'कहानी' पत्रिका में मुक्तिबोध और त्रिलोचन ने साथ-साथ काम किया था ऐसा मैंने त्रिलोचन जी से सुना था लेकिन उसका कोई विस्तृत सन्दर्भ उपलब्ध नहीं हो पाया है। भोपाल अस्पताल में मुक्तिबोध की अस्वस्थता के दौर के सन्दर्भ भी यहाँ मौजूद हैं और दिल्ली के अस्पताल में जब मुक्तिबोध लगभग अचेतावस्था में थे उस पल को दर्ज करती चन्द्रकान्त देवताले की एक कविता भी अन्तिम पड़ाव के साथ दी गयी है। समय द्वारा मुक्तिबोध के इस अधूरे छोड़ दिये गये पोर्ट्रेट में कई जगह रंग भरने से रह गया है, कुछ रेखाएँ आधी अधूरी ही छूट गयी हैं। कई लोग जो इसे पूरा कर सकते थे, वो जा चुके हैं। लेकिन यह सभी इस रूप में भी हमें बहुत प्यारी है... इसमें छूटे हुए अवकाश वस्तुतः उनकी सोच और उनके व्यक्तित्व के ऐसे अवकाश हैं, जिनमें हमेशा ही हम अपने लिए जगह तलाश सकते हैं...।
लेखक परिचय
रमेश मुक्तिबोध जन्म: 15 नवम्बर, 1939 उज्जैन। शिक्षा: बी.एस.सी.। भिलाई इस्पात संयंत्र से 1997 में सेवानिवृत्त, मुक्तिचोध रचनावली के संचयन का कार्य एवं संपादन में आंशिक सहयोग तथा पिछले कई वर्षों से मुक्तिबोध जी की अप्रकाशित रचनाओं पर कार्यरत। वर्ष 2009 से' मुक्तिबोध स्मृति' के तहत साहित्यिक संगोष्ठियों का आयोजन।
राजेश जोशी जन्म: 18 जुलाई, 1946 नरसिंहगढ़, मध्यप्रदेश। किस्सा कोताह (उपन्यास), समरगाथा (एक लम्बी कविता) के साथ ही पाँच कविता संग्रह: एक दिन बोलेंगे पेड़, मिट्टी का चेहरा, नेपथ्य में हँसी, दो पंक्तियों के बीच, चाँद की वर्तनी; धूप घड़ी, गेंद निराली मीठू की (बाल कविताएँ), ब्रह्मराक्षस का नाई (बाल नाटक), सोमवार और अन्य कहानियाँ तथा कपिल का पेड़: कहानी संग्रह। जादू जंगल, अच्छे आदमी, तुम सआदत हसन मंटो हो, पाँसे, सपना मेरा यही सखी, हमें जवाब चाहिए : नाटक; एक कवि की नोटबुक तथा एक कवि की दूसरी नोटबुकः समकालीनता और साहित्य: आलोचनात्मक टिप्पणियाँ । पतलून पहिना बादल (मायकोव्स्की की कविताओं का अनुवाद), भूमि का कल्पतरु यह (भर्तृहरि की कविताओं की अनुरचना); कविताओं का अनेक भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद। इसलिए पत्रिका का कुछ वर्ष तक प्रकाशन एवं संपादन। नया पथ के निराला शताब्दी अंक के साथ ही पाँच अंक तथा वर्तमान साहित्य के कविता विशेषांक का संपादन। साहित्य अकादेमी सम्मान 2002, श्रीकान्त वर्मा स्मृति सम्मान, पहल सम्मान, शमशेर सम्मान, मुक्तिबोध सम्मान, माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार तथा शिखर सम्मान। आजकल स्वतन्त्र लेखन।
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