पुस्तक परिचय
यह मेरी यात्रा का अंत नहीं है।
अभी बहुत से मुकाम हासिल करने हैं!
और वह भी इसी जीवन में।
संभावनाएँ असीम हैं और मेरे भविष्य की पटकथा अभी तक लिखी नहीं गई है।
मेरी ज़िंदगी बँधी हुई नहीं है, न ही यह सीमित है और न परिभाषित।
एक लाजवाब, रोचक और बेबाक जीवनी जिसमें कई अनसुनी कहानियाँ, उदाहरण और सबक छुपे हैं।
अनुपम खेर अपनी ऐसी आत्मकथा के हीरो हैं जिसमें नाटक, कॉमेडी, रोमांस और एक्शन सबकुछ है! किसे पता था कि शिमला जैसे छोटे शहर का एक लड़का किसी दिन दुनिया के सबसे प्रसिद्ध अभिनेताओं में गिना जाएगा जिसे कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिलेंगे !
पाँच सौ से अधिक फिल्मों की वो अनवरत यात्रा अब भी जारी है और अनुपम खेर को सिर्फ उनके ख़ास 'बॉल्ड लुक' के लिए नहीं जाना जाता, बल्कि उन्हें अपने बेलौस और बेखौफ़ विचारों के लिए भी जाना जाता है, भले ही वे कितने ही विवादास्पद क्यों न हों।
वे हमेशा से लीक से हटकर रहे हैं और उनकी आत्मकथा भी वैसी ही है।
इसमें जीवन के अविश्वसनीय सबक भरे पड़े हैं जिससे हर भावी कलाकार और एक आम आदमी अपना अक्स देखेगा।
यह एक सच्चे, ज़हीन और सदाबहार कलाकार के जीवन की पल-पल बदलने वाली कहानी है।
लेखक परिचय
राष्ट्रीय नाट्य विद्यायल, नई दिल्ली के एक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनेता- निर्माता-लेखक और प्रेरक वक्ता अनुपम खेर एक ऐसे बहुमुखी प्रतिभाशाली कलाकार हैं जिन्होंने 530 से ज़्यादा फिल्मों (भारत और पश्चिम की कई भाषाओं में), 100 नाटकों और कई टीवी कार्यक्रमों में काम किया है। वे दो राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड्स के विजेता रहे हैं, उन्हें आठ फिल्मफेयर अवॉर्ड्स मिले हैं और वे बीएएफटीए के लिए नामांकित हुए। इसके अलावा, सिनेमा में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री और पद्म भूषण सम्मान से भी पुरस्कृत किया।
उनके गौरवपूर्ण करियर की शुरुआत सारांश और डैडी जैसी फिल्मों से हुई और उन्होंने हॉलीवुड मुख्यधारा की फिल्मों सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक, होटल मुंबई, द बिग सिक और ए फैमिली मैन में भी काम किया। उन्होंने एंग ली, डेविड ओ रसेल, वुडी एलेन, गुरिंदर चड्डा और लाना और लिली वाचोवस्की जैसे निर्देशकों के साथ भी काम किया है।
वह बेस्टसेलिंग किताब द बेस्ट थिंग अबाउट यू इज़ यू! के लेखक रहे हैं जो छह भाषाओं में अनुदित हुई। अनुपम खेर फिलहाल मुंबई और न्यूयॉर्क में अपना समय बिताते हैं और एनबीसी इनटरटेंनमेंट पर हाल ही शुरू हुए हिट टीवी शो न्यू एम्सटरडम के प्रमुख अभिनेता रहे हैं।
भूमिका
अपनी आत्मकथा लिखने की शुरुआत मैंने दस साल की उम्र में ही कर दी थी यह मेरे अभिनेता, फिल्म स्टार और पुरस्कार विजेता कलाकार बनने से बहुत पहले की बात है। मैं अवचेतन में अपने परिवार, अपने बचपन के दिनों और बाद के दिनों में दूसरे अदाकारों और निर्देशकों के साथ अपने मेलजोल की यादें अनुभवों से सराबोर होकर संजोता रहा। मैं जीने के जोखिमों को उठाता आगे बढ़ता रहा - अभिनय की बीहड़ ज़िंदगी में कभी ऊपर तो कभी नीचे जो आनंद और रचनात्मकता से भरपूर थी।
चूँकि मैंने ज़िंदगी इतनी संपूर्णता में जी है कि मेरी स्मृति में अधिकतर घटनाएँ तस्वीर जैसी हैं- मुझे छोटी बड़ी सभी तरह की घटनाएँ, मुलाकातें, दृश्य, ध्वनियाँ और गंध याद आने लगती हैं।
यह एक जादू ही है कि मेरी आत्मकथा अब व्यवस्थित तरीके से मुखर हो उठी है, इसमें उन लोगों के ऊपर रोशनी है जिन्होंने मेरे जीवन को प्रभावित किया और जिनके हाथ में मेरे वजूद का एक सिरा भी है- एक धड़कता हुआ सिरा जो आज भी मुझे उससे जोड़े हुए है जो तब का है जब मैं दस साल का था।
कोलम्बिया के महान लेखक गाब्रियल गार्सिया मार्खेज़ ने अपनी आत्मकथा लिविंग टु टेल द टेल में इस बात को बहुत अच्छी तरह लिखा है कि 'ज़िंदगी वह नहीं होती है जो हम जीते हैं, बल्कि वह जो हम याद करते हैं और उसको जिस तरह से याद करते हैं।'