| Specifications |
| Publisher: Pragatisheel Prakashan, Delhi | |
| Author Jitendra Kumar Singh, Niku Kumari | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 207 | |
| Cover: HARDCOVER | |
| 9x6 inch | |
| Weight 400 gm | |
| Edition: 2024 | |
| ISBN: 9788194985235 | |
| HBB449 |
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पुस्तक आपके हाथ में है, कैसी है, इसका निर्णय आप स्वयं करे। जहाँ तक मेरी बात है भला अपने दही को कोई खट्टा कहता है? मैं इतना अवश्य कहूँ कि इसकी प्रेरणा ना तो मात्र अर्थकरी रही है और ना इसमें मात्र पिष्टप्रेषण हुआ है। मौलिकता, तथ्यों की नवीनता स्थिरता आदि पर सर्वत्र ध्यान दिया गया है। वैचारिक सांस्कृतिक राजनीतिक आदि परिस्थितियों के परिणाम स्वरूप साहित्य के विविध रूप में दिखाई पड़ती है। प्रस्तुत प्रयास उसी आभाव का पूरक है। वर्तमान संदर्भ में लेखन और प्रकाशन बड़ा ही कठिन कार्य हो गया है। लिखने के लिए मजबूत कलम एवं मजबूत कंधा का भी होना नितांत आवश्यक है। बाज़ार में आने के लिए भारी भरकम कीमत भी चाहिए। यह पुस्तक एक विशेष उद्देश्य से लिखी गई है। झारखंड के लगभग सभी विश्वविद्यालयों में परीक्षार्थियों को ध्यान में रखकर यह पुस्तक लेखन का कार्य संपन्न किया है। एक जगह पर कई महत्वपूर्ण अध्याय इकट्ठे मिल जाएंगे। वर्तमान परिपेक्ष्य में देश के प्रायः सभी विश्वविद्यालयों में परीक्षार्थियों को ध्यान और आश्वस्त कर सके। उनके हित के लिए इस पुस्तक की रचना की गई है। पुस्तकें तो कई है परंतु किसी में विषय का बहुत अधिक विस्तार है तो किसी में विषय पर बहुत कम जानकारी मिलती है। प्रस्तुत पुस्तक में अपने पाठकों पर पूरा ध्यान रखा गया है। भाषा विल्कुल सरल एवं सहज है जिससे आसानी से समझा जा सकता है। अपने विद्वान साथियों के समक्ष यह पुस्तक प्रस्तुत करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। पुस्तक को सफलतापूर्वक प्रकाशित करने में पूज्यवर पिता स्वर्गीय प्रोफेसर शीलधर सिंह एवं माता स्वर्गीय अरुणा देवी का अप्रत्यक्ष सहयोग सराहनीय है। उन्हीं के अथक प्रयास एवं कृत संकल्प ने आजतक इस मुकाम तक पहुँचाया। प्रत्यक्ष तो नहीं हैं उन्हें कोटि-कोटि नमन। डॉ. माधव शरण भारतीय प्रशासनिक सेवा, श्री कैलाश प्रसाद देव न्यायधीश झारखंड उच्च न्यायालय राँची, श्री संजीव कुमार सिंह एवं श्री रंजीत कुमार सिंह का कुशल मार्गदर्शन अतुलनीय है। ईस्ट मित्र गुरुजन सुहृदयजनों का बहुत आभारी हूँ। अंत में श्री अर्जुन मुंडा सांसद खूंटी लोकसभा का भी आभारी हूँ जिनके दिशा निर्देशन का पालन करते हुए लेखनी अवाध गति से चल पड़ी।
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