श्री विनोद भट्ट गुजराती साहित्य के सुप्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। उनके शब्द-शब्द में हास्य का पुट सम्पुट के सभापन सदैव निवास करता है। कहा जाता है कि बीज मंत्रों के सम्पुट से स्तुति-प्रार्थना के स्वरों को सिद्धि प्राप्त होती है और मेरा अनुभव है कि श्री विनोदभाई के हास्य-व्यंग्य से गुजराती साहित्य के देवता सिद्ध होते हैं। हास्य का ऐसा सुन्दर, शिष्ट और परिमार्जित रचनाकार गुजराती की बैखरी का शीस फूल है जो चमकता है तो मूर्धजों की क्यारी चाकचिक्य से निखर जाती है। उनका हास्य सहस्रमुखी है, उसके फूलों से ऐसी परिमार्जक धारा निःसृत होती है कि मन को नहीं तन को भी प्रक्षालित कर देती है। वास्तव में हमारे यहाँ शास्त्र में व्यंजना की बड़ी प्रशंसा हुई है और शायद काव्य की यह सबसे मजबूत जमीन भी है। इसी पर आनंदवर्धने ने अपनी 'ध्वनि' का महाप्रसाद रचा है। भाई विनोद भट्ट इस महालय के सभी कक्षों में अपने हास्य-व्यंग्य के चमकदार लड्डू जलाने में माहिर हैं। उनकी यह कला निरंतर निखार पा रही है।
प्रस्तुत ग्रंथ 'विनोद-विमर्श' में श्री विनोद भट्टने अपने विमर्श के साथ हास्य-व्यंग्य को शास्त्रीय जामा पहनाने का सुन्दर प्रयास किया है। यों शास्त्रों में हास्य का विवेचन मिलता है। परन्तु उसे पौरस्त्य और पाश्चात्य हास्य-व्यंग्य विश्लेषकों के निकथ पर कसकर एक अच्छा निकषशास्त्र इस ग्रंथ के माध्यम से प्रदान किया है। बंगाली, मराठी, उर्दू, हिन्दी और गुजराती साहित्य में प्राप्त हास्य की धाराओं का सम्यग् विश्लेषण कर एक विशाल दृष्टि हास्य-व्यंग्य के संदर्भ में प्रस्तुत की। हास्य के अनेक मुखौटों का बारीकी से तह में जाकर जो विचिकित्सा की है वह काबिले तारीफ है ।
गुजराती के इस मननीय ग्रंथ का हिन्दी साहित्य अकादमी ने हिन्दी में अनुवाद कर दो स्तरों पर सिद्धि प्राप्त की है। एक तो यह कि गुजराती के इस ग्रंथ का राष्ट्रभाषा में अनुवाद उपलब्ध कराकर गुजराती के ग्रंथ का अध्ययन क्षेत्र बढ़ाया है, उसे अनेक जिज्ञासुओं के लिए सुलभ बनाया है।
दूसरा हिन्दी और गुजराती एवं अन्य भारतीय भाषाओं के बीच आदान-प्रदान की भावना को सुदृढ किया है। मैं श्री विनोदभाई को धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने इसे हिन्दी अनुवाद के लिए अकादमी को सौंपा है। एक दिन विनोदभाई का फोन आया और चमत्कार देखो प्रकाशन गति में आया और फल आपके सामने है। अकादमी ने सौराष्ट्र युनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एस. पी. शर्मा को यह अनुवाद कार्य सौंपा और हमें आनंद है कि उन्होंने इसका अच्छा पठनीय अनुवाद कर हिन्दी साहित्य अकादमी, गुजरात के लक्ष्य की आपूर्ति में सराहनीय सहयोग दिया है। मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ।
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