Writers honoured with 'Gyanpeeth Award'
भारतीय परंपरा विश्व-सभ्यता के इतिहास में एक सुदीर्घ और जटिल परंपरा है। बल्कि यह परस्पर-संश्लिष्ट विविध परंपराओं का एक घुलामिला रूप है। इस परंपरा को समझने के लिए भिन्न-भिन्न प्रासंगिक दृष्टिकोण आवश्यक है जो इन परंपराओं को समय की तेज गति के परिप्रेक्ष्य में देख सके और उसकी अनेक परस्पर विरोधी अभिव्यक्तियों को समझ सके। भारतीय परंपरा की पुनर्व्याख्या कदापि सहज नहीं। ऐसा करने के लिए जिस मांनसिक तैयारी की जरूरत होती है उसके लिए बंधन और मुक्ति, सीमा और असीम के आपसी संबंधों को ध्यान में रखना होगा। जगन्नाथ संस्कृति इसी परंपरा की एक दृढ़ और वर्णाढ्य अंग है जिसमें धार्मिक चेतना, साहित्य और सामाजिकता एक साथ दिखाई देते हैं। संकलन के तीन निबंधों में परंपरा और संस्कृति को अलग-अलग दृष्टियों से समझने का एक प्रयास है।
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