| Specifications |
| Publisher: Ananda Marga Pracaraka Samgha, Kolkata | |
| Author Prabhat Ranjan Sarkar | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 274 (Throughout Color Illustration) | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8.5x5.5 Inch | |
| Weight 300 gm | |
| Edition: 2011 | |
| ISBN: 9788189718510 | |
| HBH877 |
| Delivery and Return Policies |
| Ships in 1-3 days | |
| Returns and Exchanges accepted within 7 days | |
| Free Delivery |
बाह्य या आभ्यन्तरीण औषधि प्रयोग के द्वारा विकारप्राप्त यन्त्र को जिस प्रकार स्वाभाविक अवस्था में लिया जाता है, ठीक उसी प्रकार यौगिक आसन-मुद्रादि की सहायता से अधिकतर निरापद और निर्विघ्न रूप से देह यन्त्र की स्वाभाविक कर्मदायता को फिर से ले आना संभव है। प्रत्येक व्याधि की यौगिक चिकित्सा के सम्बन्ध में जनसाधारण को जानकारी कराना ही इस पुस्तक का उद्देश्य है।
Send as free online greeting card
Visual Search