बचपन से आज तक इन आम पात्रों को हम सबने देखा है और शायद इनसे कभी गुफ़्तगू भी की होगी। इनका समाज और अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान है। पर मुझे लगता है कि हमारी सम्वेदनशीलता उनके प्रति कम होती जा रही है, और हम उन्हे वह तवज्जोह नहीं देते जिसके वो हक़दार हैं।
ख़्वाहिश थी कि इनके व्यक्तित्व के कुछ आयामों को सरल और छोटी कविता में समेदूँ। कविताओं के माध्यम से उनके योगदानों का सम्मान करूँ। इनके मन में क्या विचार चलते हैं, इनके आंतरिक और बाहरी संघर्ष, सुख-दुःख एवं आकांक्षाएँ, आत्म-वार्तालाप के रूप में आप गुणी पाठकों से साझा करूँ। यह प्रयास उसी दिशा में है।
मुझे भरोसा है कि इन कविताओं के सभी किरदार आपको कहीं ना कहीं ज़रूर छुएँगे। आशा है आपका स्नेह और आशीर्वाद मुझे मिलेगा।
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