अगर मैं आपसे यह प्रश्न करूँ कि बच्चों को बिगड़ने से रोकने का कोई एक सूत्र बताएँ, तो आपके लिए उत्तर देना काफी कठिन होगा।
बच्चे क्यों बिगड़ते हैं? उन्हें बिगड़ने से कैसे रोका जा सकता है? अथवा बिगड़ैल बच्चों को कैसे सुधारा जा सकता है? या क्या बिगड़ैल बच्चे सुधर सकते हैं? इस तरह के कई प्रश्न अभिभावकों के मस्तिष्क में उठते होंगे।
उपर्युक्त सारे प्रश्नों के उत्तर भिन्न-भिन्न हो सकते हैं, लेकिन इन प्रश्नों का कहीं-न-कहीं पालन-पोषण व अनुशासन से भी संबंध है। अतः मैं कह सकता हूँ कि अगर बच्चों को बिगड़ने से रोकने का एकमात्र कोई सूत्र है, तो वह है बच्चों की परवरिश, जो आपके लिए साधारण बात हो सकती है, लेकिन यह साधारण नहीं है, क्योंकि बच्चों की परवरिश तो हर माँ-बाप करते हैं, लेकिन कुछ ही माँ-बाप ऐसे होते हैं जिनके बच्चे बिगड़ते नहीं हैं। वे अनुशासित, विनम्र और जिम्मेदार होते हैं। मैं कह सकता हूँ कि ऐसे अभिभावकों ने अपने बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं रखी।
बच्चों को प्यार करना जरूरी है, तो उन्हें डाँटना भी जरूरी है। प्रत्येक वस्तु का संतुलन एकतरफा नहीं होता। अगर तराजू का एक पल्ला एक ओर झुका रहे, तो उस तराजू से कोई काम नहीं लिया जा सकता। तराजू का महत्त्व तभी है जब उसके दोनों पल्ले संतुलित अवस्था में हों।
इस पुस्तक में मैंने जिन लेखों को स्थान दिया है, उनके बारे में कोई टिप्पणी करना अभी आवश्यक नहीं समझता हूँ, क्योंकि यह एक प्रयोग है मेरी प्रयोगशाला का।
एक प्रयोग आपको भी करना है।
मेरा विचार है कि जो बच्चे बचपन में झूठ बोलते हैं। वे बड़े होकर माँ-बाप की आँखों में धूल झोंकते हैं। अतः आप बच्चे को संस्कार जरूर सिखाएँ। उनसे झूठ न बोलें और न ही उनसे झूठ की उम्मीद रखें। इसके जरिए आप पारदर्शी व स्पष्टवादी होने का सबूत दे सकते हैं। बच्चे पर इसका सकारात्मक असर पड़ेगा।
कई माँ-बाप ऐसे होते हैं, जो बच्चों की शरारत व शैतानियों से खुश होते हैं। वे अभिमान के साथ कहते हैं कि उनका बच्चा बहुत बदमाश है। याद रखिए, एक दिन बच्चे की यह बदमाशी आपकी नींद उड़ा देगी।
मैंने अपनी इस पुस्तक में बच्चे की विभिन्न समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हुए संस्कार और सार्थकता को फोकस किया है। प्रत्येक माँ-बाप से यही उम्मीद है कि बच्चे में अपना बचपन झाँकें और अनुभवों को बच्चे के साथ 'शेयर' करें। इससे बच्चा बहुत कुछ सीख सकेगा और आने वाली चुनौतियों का सामना करते हुए गुमराह नहीं होगा।
अनेक लेख पुस्तक में शामिल करके मैंने जिस प्रयोग की बात की है, आपसे उम्मीद है कि आप भी इस प्रयोग को अपने बच्चे पर उचित समय पर इस्तेमाल करें। देखिए क्या परिणाम आता है।
प्रस्तुत पुस्तक के बारे में अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराना न भूलें, इसी विश्वास के साथ आपसे विदा लेता हूँ।
Hindu (हिंदू धर्म) (13443)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (714)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2075)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1157)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24544)
History (इतिहास) (8922)
Philosophy (दर्शन) (3591)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist