मैं जब दक्षिण आस्ट्रेलिया के बोटेनिक मेडिसीन तथा प्राकृक्तिक प्रणालियों के कॉलेज में 1989 के शरद्काल में मेडिकल पामेस्ट्री पढ़ाया करता था, उस रमय मेरे अंदर प्रस्तुत पुस्तक को लिखने की ललक उठी थी। उस छः मास वं पाठ्यक्रम में बारह छात्र थे, जिन में अनेक तो प्राकृक्तिक चिकित्सा प्रणाली केचतुर्थ वर्ष के छात्र थे तथा शेप इन विषयों में रुचि रखने वाले। वे अत्यंत बुद्धिमान थे और उनमें ज्ञान एवं अच्छी जानकारियों के प्रति पिपासा थी।
एक अध्यापक के रूप में मेरे सम्मुख एक प्रमुख समस्या यह थी किछात्रों को एक ऐसी पाठ्य-पुस्तक कैसे मुहैया कराई जाए जो सारगर्भित होने के साथ-साथ सरल शैली में हो। मेरी यह खोज असफल रही।
चूंकि मेरा कोई अध्यापक नहीं था इस कारण मुझे केवल पुस्तकों पर अश्रित रहना पड़ता था। यही कारण था कि मुझे ज्ञान की प्राप्ति धीरे-धीरे हुई थी। यह अध्ययन मैंने पिछली शताब्दी के जग प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्रिरों कैथरीन सेंट हिल तथा कीरो से प्रारंभ किया था। ये दोनों ही लेखक निराशारनक व नीतिपरक व्याख्याओं पर जोर देते थे।
इन दोनों ही विद्वानों की हस्तरेखा शास्त्र की पारंपरिक धारा परं गहरी पकड़ थी मगर उस समय के सामाजिक नियमों व मनोवैज्ञानिक ज्ञान का भी असर था। इसी कारण जिज्ञासु छात्रों को विक्टोरिया युग की भाषा तथा अव्यवस्थित ज्ञान को बड़ी मेहनत से पार करना पड़ता था। उस काल के हस्तरेखा विशेषज्ञों ने मध्ययुगीन हस्तरेखा शास्त्र को अपना कर उसे मनचाहे रूप में मरोड़ा। साथ ही उन्होंने कुछ प्राकृतिक मानवीय प्रवृत्तियों विशेषकर कामुकता को नकारा। इन प्राचीन ग्रंथों के कुछ भाग अत्यंत कामुकता एवं वर्ग-भेद से भरे और निषेधात्मक हैं। तब किसी व्यक्ति में अपवादिक जीवन शक्ति के चिन्हों को समस्या के रूप में देखा जाता था। वैसे तो इनका निराकरण हो चुका है किंतु दुर्भाग्यवश कुछ आधुनिक पुस्तकों में उस काल की पुस्तकों के कुछ भाग ज्यों के त्यों वर्णित हैं (इस संदर्भ में पर्वतों वाले अध्याय को देखें)। हम लोगों की उंगलियों के नीचे तीन पर्वत होते हैं किंतु अगर आप की पुस्तक में चार पर्वत बताए गए हैं तो वह विक्टोरिया युग का अंश है।
पारंपरिक शब्दावली का पूर्णतः अनुसरण करते हुए मैंने आंकड़ों विक्टोरिया युगीन निर्णयो को छांट कर न्यू एज के विचारों की रचना की (नू एज को मैं मानवता व चेतना के विकास की वर्तमान अवस्था मानता हूं जिस्में हम राजनीति के बजाए आध्यात्मिक मूल्यों से प्रेरित हो रहे हैं। यह 'न्यू' एज प्राचीन ज्ञान की खोज है किंतु पिछली सदी में मनोविज्ञान तथा दूसरी कलओं ने अत्यधिक प्रगति की थी)। कुछ परिभाषाओं का निर्णय अन्य विद्वानों और छात्रों के साथ गहरे विचार-विमर्श के बाद ही हो पाया था। इन्हीं सब प्ररासों के फलस्वरूप प्रस्तुत पुस्तक आप के हाथों में है। यह एक तकारीकी नियम-पुस्तिका (मैनुअल) है जिसका आप सरलता से उपयोग कर सकेंगे तथा अनुभवी हस्तरेखाविदों के साथ-साथ नौसिखियों को भी इस प्राचीन कला का तुरंत ज्ञान हो सकेगा।
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