| Specifications |
| Publisher: Narayan Kuti Nyas Sanyas Ashram, Madhya Pradesh | |
| Author Swami Shivom Tirth | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 109 | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8.5x5.5 inch | |
| Weight 148 gm | |
| HBE664 |
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योगेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा महाभारत के दौरान उद्भूत श्रीमत भगवत् गीता को अठारह अध्याय में वर्णित किया गया है, जिसमें से बारहवें अध्याय में भक्तियोग, भक्त और प्रिय भक्त के लक्षण कहे गए हैं । अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड नायक परम सद्गुरुदेव स्वामी विष्णुतीर्थ जी की कृपा से सद्गुरु महाराज श्री द्वारा छः प्रवचनों की श्रंखला में भक्त के लक्षणों का प्रस्तुतीकरण किया गया है जो बारहवें अध्याय के सात श्लोकों की व्याख्या "भक्त के लक्षण” पुस्तक के रूप में प्रस्तुत है। कैसे आचरण वाले साधक परमात्मा को प्रिय हैं, इसकी विशद् व्याख्या की गई है। उदाहरण स्वरूप उन्होंने कहा है कि सामान्य संसारी जीवों की अपेक्षा भक्त की विचार शैली कुछ भिन्न होती है। जब उसके समक्ष कोई दुःख आता है तो संसारी जीव सोचता है कि इस दुःख का कारण अमुक व्यक्ति या अमुक परिस्थिति है। जबकि भक्त जानता है कि इसका कारण उसका प्रारब्ध है और उसे उसका प्रारब्ध भोगना ही पड़ेगा। जब वह संतुलित चित्त होकर उसको भोग लेता है तो उसका वह कर्म समाप्त हो जाता है। जबकि संसारी व्यक्ति उस पर अपनी प्रतिक्रिया दुखी होकर या सुखी होकर संस्कारों को कई गुना बढ़ा लेता है।
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