आज जब यह लिखने के लिए बैठा हूं तो ऐसा लगता है कि एक बार फिर से मां ने हम सभी भाई-बहनों को भगवान के सामने लाकर खड़ा कर दिया है जैसा कि वे हमेशा किसी यात्रा के लिए घर से निकलने से पहले करती थीं। यह कोई नई यात्रा नहीं है लेकिन सृजन की सतत यात्रा के इस नए मोड़ पर मैं यही प्रार्थना करता हूं कि मान-सम्मान, उत्थान-पतन, ईर्ष्या-द्वेष, लाभ-हानि, यश-अपयश से परे वाग्देवी की कृपादृष्टि मुझ पर सदा बनी रहे।
यह कहना मुश्किल होगा कि कहानी के प्रति मेरा रुझान कब और कैसे शुरू और विकसित हुआ लेकिन इसका बीजारोपण मां की बताई हुई पुराण-कथाओं से हुआ होगा। घर में सबसे छोटा होने के कारण मैं हमेशा मां के साथ-साथ रहता चाहे वह भागवङ्कथा, कीर्तन, यज्ञ हो या कि संध्या-वंदना। मेरी अवस्था और बोध से परे मां उन कथाओं और उनके केंद्र में निहित तत्वों का विवेचन मुझे करके बताती जाती। ये वे शब्द नहीं थे जो मेरी स्मृति में गहरे उतरते गए बल्कि यह वह अनुभूति थी जो बहुत ही एकांतिक क्षणों में हमारे अंदर और वह भी कभी अचानक कौंध जाती है। बाद में जब स्कूल में दाखिला लिया और पढ़ाई शुरू की तो हिंदी मेरा प्रिय विषय रही। और किताब मैं साल भर में पढ़ता तो हिंदी की किताब आधी से ज़्यादा पहली रात को ही पढ़ जाता। बाद में दीदी अपने महाविद्यालय के पुस्तकालय से कुछ किताबें पढ़ने के लिए मुझे लाकर देतीं। यही नहीं बाद के दिनों में जब मैंने लिखना शुरू किया तो मैं उन्हें ही सबसे पहले पढ़ने के लिए देता।
कहानी शब्दों का संकलन मात्र नहीं है। यह मनुष्य की अनुभूत मनोदशाओं का एक पूरा दस्तावेज़ है। यह एक ऐसी दुनिया है जहां सब कुछ अपना है-पात्र, परिवेश, परिस्थिति, आरंभ, विकास और परिणति। कहानी का अंत कभी नहीं होता। उसमें एक विराम आ जाता है। एक कहानी से अनेक कहानियां निकलती हैं। इस तरह कहानियां समय और सीमा के पैमाने पर निरंतर प्रवाहित होती रहती हैं। कहानी के पात्र, परिवेश और उसमें वर्णित घटनाएं वास्तव में न होकर भी और न घटकर भी वास्तविकता से भी बड़े सच को उद्घाटित करते रहते हैं। कहानी में कला है और हर कला की अपनी एक कहानी है। कला के बिना कहानी, कहानी न होकर तथ्यों का पुलिंदा मात्र है। कहानी जागरण नहीं लाती, आंदोलन नहीं करती और न ही यह किसी युग का उद्घोष है लेकिन यह मनुष्य की सुप्त शिराओं में संवेदनाओं का संचार करती है, उसके विवेक को आलोड़ित और उसकी आत्मा को आलोकित करती है।
इस कथा-संग्रह में पिछले दस सालों में मेरे द्वारा लिखी हुई आठ कहानियां संग्रहीत हैं। मेरे विचार से ये कहानियां आधुनिक समाज में बदलते जीवन मूल्यों को रेखांकित करती हैं। कुछ कहानियों की पृष्ठभूमि में जहां आधुनिक भारत का मध्यवर्गीय समाज है, वहीं कुछ कहानियों में भारत के बाहर अमेरिका और यूरोप का आधुनिक समाज भी सम्मिलित है। समाज और उसके घटकों के अंतरसंबंधों को प्रगति और आधुनिकीकरण के नवीन आलोक में देखने का प्रयास किया गया है। अधिकांश कहानियों में आज का युवा कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में अपने आपको तलाशता हुआ नज़र आता है। यही तलाश जब वृहत्तर रूप धारण करती है तो एक किस्म की जीवन-दृष्टि में प्रवर्तित हो जाती है। कहना अनुचित नहीं होगा कि आज के समाज की समस्याएं और उसकी दुविधाएं मेरी कहानियों में उमड़-घुमड़कर प्रकट होती रही हैं। लेकिन ये कहानियां किसी भी अर्थ में समस्याप्रधान नहीं कही जा सकती हैं। तथ्यों को रखने और प्रस्तुत करने के साथ-साथ कला के स्वाभाविक रूप को अक्षुण्ण रखने में ये कहानियां मेरे विचार में सफल रही हैं। कथ्य, शैली और शिल्प में सामंजस्य जहां मैंने बनाए रखने का प्रयास किया है, वहीं कहानियां संदर्भहीन होने से भी बची रह गई हैं। मेरी कहानियां अपनी समकालीन अन्य कहानियों से भिन्न इस अर्थ में हैं कि यथार्थ के चित्रण को केंद्र में रखकर लिखी जा रही आज की कहानियां जहां नई कहानी और उसके स्वाभाविक विकास के क्रम को कायम न रख पाते हुए एक तरह से अपने मूल उद्देश्य से भटक गई हैं, वहीं मेरे विचार में मेरी कहानियां नई कहानी के क्रमिक विकास की अगली कड़ी की तरह हैं।
मुझे विश्वास है कि हिंदी के पाठकों को ये कहानियां पसंद आएंगी। इस विश्वास का एक कारण यह भी है कि ये कहानियां अमेरिका से प्रकाशित होने वाली हिंदी पत्रिकाओं 'क्षितिज' और 'विश्वा' के माध्यम से अमेरिका और भारत में यथेष्ट रूप से पसंद की गई हैं। इसके अतिरिक्त कई वेब-पत्रिकाओं में भी इनमें से कई कहानियां प्रकाशित हुई हैं ।
Hindu (हिंदू धर्म) (13443)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (714)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2075)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1157)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24544)
History (इतिहास) (8922)
Philosophy (दर्शन) (3591)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist