ग्रन्थ-परिचय
वैदिक कालीन इतिहास के अध्ययन का एक मात्र आधार ब्राह्मण साहित्य है वैदिक वाङ्मय मे इन ब्राह्म-ग्रन्थों का महत्वपूर्ण स्थान है ये वैदिक जीवन के सांस्कृतिक अध्ययन के प्रमुख स्रोत ही नही, बल्कि भारतीय जीवन के विकासक्रम मे एक सम्पूर्ण परम्परा के निर्देशक ग्रन्थ हैं प्रस्तुत पुस्तक “ऋग्वेदीय बाह्मणों का सास्कृतिक अध्ययन”उसी दिशा मे एक सतुत्य प्रयास है।
सम्पूर्ण पुस्तक आठ अध्यायों मे विभक्त है आरम्भ ने ऋग्वेदीय ब्राह्मण-ग्रन्थो जैसे ऐतरेय बाह्मण, कौषीतकि ब्राह्मण आदि के परिचय पर प्रकाश डाला गया है तत्पश्चात् पारिवारिक संगठन का विशद निरूपण एव तत्कालीन सामाजिक व्यवस्थाओ का बड़े ही क्रमिक ढंग से वर्णन है वैदिक कालीन राजनीतिक स्थितियों पर ले अप का प्रयास बहुत स्पष्ट है आर्थिक स्थिति एव ज्ञान-विज्ञान दो अलग-अलग अध्यायों पर यथेष्ठ सामग्री इस पुस्तक में उपलबध है अन्तिम अध्याय से पूर्व वैदिक ऋषियो एव देवताओ की चर्चा है अन्तत वैदिक यज्ञों को समझाने के लिए लेखक ने बड़े ढंग से इसका प्रस्तुती- करण किया है परिशिष्ट में पाठको को वैदिक-पदों को समझाने के लिए दी गयी पारिभाषिक-सूची पुस्तक की उपादेयता को और मी बढ़ा देती है ।
अवश्य ही प्रस्तुत पुस्तक पाठकों एव शोधकर्त्तओं के लिए परमोपयोगी सिद्ध होगी।
लेखक-परिचय
नाम- डॉ० बलवीर आचार्य
जन्म-23 मई, 1952 ई०
शिक्षा-शास्त्री, आचार्य श्रीमद् दयानन्दआर्ष विद्या, पीठ गुरुकुल, झज्जर, रोहतक, (हरयाणा) एम.ए. संस्कृत गुरुकुल काशी विश्वविद्यालय हरिद्वार, पी-एच० डी०, गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर (उ०प्र०)
अध्यापन-आदर्श गुरुकुल सिंहपुरा, रोहतक, राजकीय कार्य महाविद्यालय नारनौल, महेन्द्रगढ सम्प्रति संस्कृत विभाग, महर्षि दयानन्द विश्व-रोहतक (हरयाणा) ।
विषयानुक्रमाणिका
1
पुरोवाक्
iii
2
ग्रन्थ संकेत सूची
vii
3
प्रथम अध्याय विषय प्रवेश
1-22
4
द्वितीय अध्याय पारिवारिक संगठन
23-45
5
तृतीय अध्याय सामाजिक संगठन
46-79
6
चतुर्थ अध्याय- राजनीतिक संगठन
80-118
7
पंञ्चम अध्याय आर्थिक स्थिति
119-156
8
षष्ठ अध्याय ज्ञान एवं विज्ञान
157-184
9
सप्तम अध्याय ऋषि और देवता
185-219
10
अष्ठम अध्याय यज्ञ
220-264
11
परिशिष्ठ-1 पारिभाषित शब्द
265-272
12
परिशिष्ठ-2 सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
273-280
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