इस पुस्तक कि उपयोगिता शहर में रहने वाली शिक्षित लड़कियों के लिए है क्योकि गांव में अभी भी बाल विवाह कि प्रथा जीवित है | 1930 में अंग्रेजो के जमाने में शारदा एक्ट बनाकर बाल विवाह को गैर कानूनी करार दिया था किन्तु यह प्रथा ज्यो कि त्यों आज भी ग्रामीण भारत में जीवित है | इसलिये यह शोध सिर्फ शहर में जन्मे शिक्षित महिलाये जिनके विवाह में विलम्ब है उनकी कुंडली पर लागू होगा |
बाजारवाद के इस ज़माने में तथाकथित कालसर्प योग आदि लगाकर ज्योतिष में धोखा अधिक है और शोध बहुत कम | इसलिये तथाकथित उपायों के चक्कर में न पड़कर इस शोध को लगा कर यह देखिये कि लड़की का विवाह कब सम्भव है | अगर 60 से 80 प्रतिशत कुंडलियो में यह खरा उतरता है तो इसकी उपयोगिता आधुनिक भारत के समाज के लिये बहुत अधिक है |
इस पुस्तक कोई इस आशा से प्रस्तुत किया जा रहा है कि इसी शोध को नया आयाम देकर भविष्य में आगे बढ़ाया जा सके |
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