आपने कई दंगल देखे होंगे, पर दिल्ली के दंगल में जो कुछ हुआ, उसकी एक झाँकी इस पुस्तक में देखिए। दिल्ली ही क्यों, पूरे देश की, समूचे भारतीय समाज की मानस यात्ना इन हास्य कविताओं में दी गई है। इन्सान की कमज़ोरियों और दोगली प्रवृत्तियों पर छोड़े गए मर्मभेदी व्यंग्यों का मज़ा लीजिए और बेसाख्ता हँसने-हँसाने के अवसर से न चूकिए।
निर्भय हाथरसी कवि ही नहीं, कुशल लेखक और पलकार भी थे। उनका मूल नाम देवीदास तैनगुरिया था। हाथरस के दिल्ली वाला चौक इलाके के रहने वाले निर्भय हाथरसी का जन्म तो अपनी ननिहाल मथुरा जिले के एदलपुर गांव में वर्ष 1926 की देवोत्थान एकादशी के दिन हुआ था, लेकिन इसके बाद हाथरस ही उनकी कर्मभूमि रही। काव्य मंचों के वटवृक्ष रहे निर्भय ने अपनी लोकप्रिय कविताओं के माध्यम से मातृभाषा हिंदी की सेवा की। निर्भय हाथरसी ने अनेक रसों, छंदों, व्यंग खेडकाव्य, समसामयिक रचनाएं और उर्दू की गजलें भी लिखीं। उनकी कविताओं की 250 पुस्तकें प्रकाशित हुईं। निर्भय हाथरसी का देहावसान 28 जुलाई 1999 को गुरु पूर्णिमा के दिन हुआ था।
"
Hindu (हिंदू धर्म) (13443)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (714)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2075)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1157)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24544)
History (इतिहास) (8922)
Philosophy (दर्शन) (3591)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist