| Specifications |
| Publisher: Rajkamal Prakashan | |
| Author Rahi Masoom Raza | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 114 | |
| Cover: Paperback | |
| 7.0 inch x 4.5 inch | |
| Weight 100 gm | |
| Edition: 2013 | |
| ISBN: 9788126701988 | |
| NZE156 | |
| weiht of the book: 95 gms |
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सुविख्यात उपन्यासकार रही मासूम रज़ा का यह बहुचर्चित उपन्यास हिंदू -मुस्लिम साम्प्रदायिकता को बेहद यथार्थवादी धरातल पर विश्लेषित करता है! हमारे अटूट इंसानी रिश्तों और समान सामाजिक सरोकारों को फूटी आखों न देखनेवाली शै है-राजनीति और इसी के गर्भ से पैदा हुआ साँप है सांप्रदायिकता! दूसरे शब्दों में, हिंदू-मुस्लिम समस्या राजनीति का एक मोहरा है, जिसे वह जब चाहे, अपने हक में इस्तेमाल करती है!
वास्तव में असली चीज़ है, इंसान के पहलू में धड़कनेवाला दिल और उस दिल में रहनेवाले जज़्बात ! जाहिर है के इंसान का दिल और उसके जज़्बात न तो मज़हबी होते हैं और न संप्रदायिक! इसलिए संप्रदायिक! इसलिए सांप्रदायिक दंगों के बीच सच्ची इंसानियत के तलाश करनेवाला यह उपन्यास एक शहर और एक मज़हब का होते हुए भी हर शहर और हर मज़हब का है! इसके माध्यम से लेखक ने दो संप्रदायों के बीच बीच के तरह डाले गए संदेह, अविश्वास, अलगाव और विद्वेष के ऊपर मानव-मन की सच्चाई और सौहार्द पारस्परिक समझदारी को स्थापित किया है! नि:संदेह, राही का यह उपन्यास एक ज़िंन्दगी की दर्दभरी दास्तान है-ओस की बूँद तरह ही पवित्र और समझदार!




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