छोटे केरल के समुद्रतट पर स्थित एक मामूली गाँव में जन्म। ठेठ देहातिन। नियमित प्रथामिक शिक्षा पूरी नहीं की। वेश-भूषा और भाव-भंगिमा में अतिशय सादगी और निश्छलता। तथापि ये १९९३ में शिकागो महानगर में विश्वधर्म महासम्मेलन में अन्य विख्यात मनीषियों के साथ भाषण देती है। विश्वधर्माध्यक्षों की मंडली के लिये इनका चयन किया जाता है। आगे संयुक्त राष्ट्र संघ की स्वर्ण जयंती के प्रसंग में संचालित अन्तर-धर्म-सम्मेलन में भाग लेकर ये सब का सम्मान-पात्र बनती हैं। क्या कोई ऐसे चमत्कार की कलप्ना कर सकता है? वर्तमान युग में ईश्वर के अस्तित्व और आध्यात्मिकता की प्रासंगिकता तक को चुनौती दी जाती है। ऐसे युग में बुद्धिजीवी और अन्वेषण-प्रेमी लोग श्री अमृतानन्दमयी देवी जैसे विलक्षण व्यक्तित्व की कैसी व्याख्या दे पायेंगे? हमारे वर्तमान समाज में लोग क्षणिक सुखों के पीछे पागल होकर भटक रहे हैं। निराशा एवं मोह-भंग ने उन्हें अपना दास बनाया है। विज्ञान छलांग मारता आगे बढ़ रहा है। साथ ही इस धरती पर मानव का असितत्व तक सबसे बडी चुनौती का सामना कर रहा है। मानवराशि जीवन के उदात्त मूल्यों पर अधिष्ठित यथार्थ जीवन से अपना संबन्ध गवाँ चुकी है। आज निद्रित मानवराशि को जगाने के लिए आध्यात्मिकता पर अधिष्ठित कर्मप्रणाली आवश्यक हो गयी है।
प्रत्येक देश की ओर घूरती समस्याओं को ठीक से पहचान कर उनका आध्यात्मिक दृष्टि से समाधान प्राप्त करने का समय आ गया है। जैसा कि अम्मा अपने भाषण में बताती है, 'बुद्धि के जरिए विकसित वित्रान ध्यान के द्वारा ही पूर्णता प्राप्त कर सकता है। आत्मा के विषय में ज्ञान के द्वारा ही विज्ञान अपनी उच्चतम दशा पर पहुँच सकता है।
'इक्कीसवी सदी का विश्व एक झलक' शीर्षक का यह भाषण सन्युक्त राष्ट्र अन्तर-धर्म सम्मेलन में दिया गया। प्रस्तुत भाषण में अम्मा जीवन की बुनियादी समस्याओं का उल्लेख करती है और उनका आध्यात्मिक समाधान भी समझाती है।
चेतना की गहराइयों में बैठे अम्मा जैसे महात्मा ही मानव-राशी को सही पथ पर ले चल सकते हैं। महात्मा लोग मानव - हदयों पर जो प्रेम और प्रकाश बरसाते हैं उसी के जरिये यथार्थ भावात्मक एकता का उदय हो सकता है।
धरती में जमी हुई लता की कलियाँ वसन्तकाल के सूर्यतेज की तरफ विकसित और प्रफुल्ल हो उठती हैं। उसी तरह एक यथार्थ महात्मा की ज्योतिर्मय सन्निधि ही हमारी हृदय - कलियों को प्रेम और एक्य भावना के प्रकाश की तरफ विकसित हो उठने की उर्वर भूमी हो सकती है।
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