पुस्तक परिचय
एक साहित्यिक के प्रेमपत्र भारती जी के पत्रों का यह संकलन मात्र संकलन नहीं है, यह तो प्रतिबिम्ब है उस बिम्ब का जिसे 'प्रेम' कहा जाता है, जिसे शास्त्रों ने अगम, अगोचर और अनिर्वचनीय कहा है, और जिसे युगों-युगों से साहित्यकारों और कलाकारों ने अपने-अपने ढंग से अभिव्यक्त करने की कोशिश की है, फिर भी यह लगता रहा है कि बहुत कुछ है जो अनकहा रह गया है।... इन पत्रों से आप जान सकेंगे कि आपके प्रिय रचनाकार डॉ. धर्मवीर भारती की सारी सूजन यात्रा किस खोज में लगी रही थी, उनकी जीवनदृष्टि किन क्षितिजों को मापना चाह रही थी, उन्हें उन कौन से मूल्यों की तलाश थी जो उनके अस्तित्व की वास्तविक पहचान बन सकें। क्या वह रचनाकार अपने सत्य को पहचान सका? जी सका? उससे साक्षात्कार कर सका? या फिर जीवन भर किन्हीं बीहड़ों और कन्दराओं में भटकता ही रहा ?... धर्म, कर्म, मान, मर्यादा, दायित्व, विधि-विधान सबकुछ स्वयंभू प्रेम-तत्त्व पर न्योछावर करके उसे सम्पूर्ण रूप में जीकर जानना चाहा था भारतीजी ने। मेरी सार्थकता तो केवल इतनी थी कि मैं उन्हें वह सब दे सकी, जिसको आधार बना कर उन्होंने इस तत्त्व का साक्षात्कार करने की कोशिश की ।... बड़ी बेखौफ, बेलौस, वेखबर, निश्चिन्त यात्रा थी वह ! अब इन पत्रों के माध्यम से फिर-फिर उस यात्रा पर निकल पड़ती हूँ। हर बार पाती हूँ कि ये वही पगडंडियाँ हैं, वही मोड़-दर-मोड़ लेते रास्ते हैं जिन पर सदियों से चलती चली आयी हूँ.... सदियों तक चलती चली जाऊँगी...
लेखक परिचय
पुष्पा भारती
11 जून, 1935 को उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद में जन्म। 1955 में प्रयाग विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए.। सन् 1956 से कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध श्रीशिक्षायतन कॉलेज में कुछ वर्षों तक अध्यापन कार्य। 1961 में डॉ. धर्मवीर भारती से विवाह के उपरान्त मुम्बई आने पर 'रोमांचक सत्यकथाएँ' लेखमाला का लेखन प्रारम्भ। प्रकाशित पुस्तकें : 'रोमांचक सत्यकथाएँ' (दो भागों में), 'शुभागता', 'प्रेम पियाला जिन पिया', 'रोचक राजनीति', 'ढाई आखर प्रेम के', 'सरस संवाद', 'साकर सुहाने', 'अमिताभ आख्यान' आदि पुस्तकों के अलावा लगभग बीस पुस्तकों का सम्पादन, जिनमें प्रमुख हैं-' आधुनिक साहित्य बोध', 'अक्षर अक्षर यज्ञ', 'धर्मवीर भारती से साक्षात्कार', 'मेरी वाणी गैरिक वसना', 'साँस की कलम से' और 'धर्मवीर भारती की साहित्य साधना'। पुरस्कार/सम्मान: रा.पा. पुरस्कार (मीडिया का सर्वाधिक सम्मानित पुरस्कार), भारती गौरव (भारती पुरस्कार परिषद्), स्वजन साहित्य सम्मान, सारस्वत सम्मान (आशीर्वाद संस्थान), उत्तर साहित्यश्री सम्मान, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी सम्मान, हिन्दी सेवा सम्मान (मालवा मंच, उज्जैन), चरारी दैर (ग़ालिब अकादमी, बनारस)। सम्पर्क : 5, शाकुन्तल, साहित्य सहवास, बान्द्रा पूर्व, मुम्बई-400 051 इन प्रेम पत्रों को उनकी तीनों सन्तानों को समर्पित करते हुए मैं पूर्णकाम परितृप्ति का अनुभव कर रही हूँ
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