पुस्तक के विषय में
भारत में अनेक विचारक तथा दार्शनिक हुए हैं जिनकी विचारधारा भारत की प्राचीन संस्कृतिक और पाश्चात्य चिंतन से प्रभावित होने पर भी पूर्णतया मौलिक तथा आधुनिक युग की आवश्यकताओं के अनुरूप है।
इस पुस्तक में ऐसे ही आठ विचारकों के शिक्षा-दर्शन पर लेखक डा. राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव ने प्रकाश डाला है।
प्रकाशकीय
भारत में महान् शिक्षकों की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। आचार्य देवो भव: की भावना से यहां शिष्य गुरु का सम्मान करते रहे हैं। शिक्षकों ने भी अध्यापन कार्य के साथ-साथ विचारक, समाज सुधारक, राजनीति विशारद के दायित्वों का कुशलता से निर्वाह किया तथा समाज और राज्य को नई दिशा प्रदान की।
लार्ड मैकाले द्वारा प्रतिपादित नई शिक्षा प्रणाली के शुरू होने के बाद देश में अनेक विद्वान और शिक्षाशास्त्री हुए, जिन्होंने देशवासियों को आधुनिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित तो किया ही साथ ही इस शिक्षा को भारतीयों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप ढालने का प्रयास भी किया।
इस पुस्तक में ऐसे सभी शिक्षाशास्त्रियों के योगदान का वर्णन किया गया है, जो भारत की आधुनिक शिक्षा के प्रणेता कहे जा सकते हैं। लेखक ने सीधी-सरल भाषा में जहां मदन मोहन मालवीय जी के भारतीय संस्कृति के संरक्षक रूप को प्रतिस्थापित किया है वहीं रवींद्रनाथ टैगोर की विश्वबंधुत्व भावना को साकार करने वाली 'विश्व भारती' का विवेचन किया है। इसी प्रकार महात्मा गांधी, दयानंद सरस्वती, विवेकानंद, अरविंद, डा. राधाकृष्णन, डा. जाकिर हुसैन के शैक्षिक दर्शन से परिचित कराया है। आशा है कि सभी आयु वर्ग के पाठक इस पुस्तक से लाभान्वित होंगे।
दो शब्द
भारत में अनेक विचारक तथा दार्शनिक हुए हैं, जिनका शिक्षा-दर्शन तथा शिक्षा- सिद्धांत राष्ट्रीय शिक्षा के विकास में सहायक हुआ है। इनकी विचारधारा भारत की प्राचीन संस्कृति तथा पाश्चात्य चिंतन से प्रभावित होने पर भी पूर्णतया मौलिक तथा आधुनिक युग की आवश्यकताओं के अनुरूप है। इस पुस्तक में जिन शिक्षाशास्त्रियों का विवेचन किया गया है वे प्राय: सभी शिक्षक भी रहे हैं। स्वतंत्रता संग्राम तथा राष्ट्रीय पुनर्जागरण में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अत : इनके द्वारा प्रतिपादित शिक्षा सिद्धांत पूरी तरह व्यावहारिक तो है ही, उभरते हुए भारतीय समाज की आशा-आकांक्षा के अनुरूप भी है।
भारतीय शिक्षाशास्त्रियों के विचार तथा कार्य का विवेचन अनेक स्थलों पर मिलता है, जो कहीं अति विस्तृत है तो कहीं दुरूह। उसे संक्षिप्त रूप से सरल भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है । शिक्षा में रुचि रखने वाले पाठकों को यह पुस्तक यदि चिंतन की नई दिशा प्रदान करने में सफल हो सकी तो लेखक अपना श्रम सार्थक समझेगा ।
विषय-सूची
1
स्वामी दयानंद
2
रवींद्रनाथ टैगोर
9
3
मदन मोहन मालवीय
19
4
स्वामी विवेकानंद
28
5
महात्मा गांधी
38
6
श्री अरविंद घोष
50
7
डा. राधाकृष्णन
59
8
डा. जाकिर हुसैन
67
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