पुस्तक के विषय में
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सभी वर्गों एवं समुदायों के लोगों ने भाग लिया। सिक्खों के कूका समुदाय का आंदोलन कूका विद्रोह के नाम से प्रसिद्ध है। महान सेनानी गुरु रामसिंह के नेतृत्व में कूका विद्रोहियों ने असहयोग और सरकारी कार्यालयों के बहिष्कार के माध्यम से अंग्रेजों को चुनौती दी। उन्होंने अपनी वैकल्पिक शासन व्यवस्था चलाने का प्रयास किया।
प्रस्तावना
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान सेनानी सद्गुरु रामसिंह के विषय में लोग बहुत कम जानते हैं । इसका एक कारण यह है कि विदेशी शासन ने इस बात की पूरी कोशिश की कि लोग उन्हें भूल जाएं। 1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेजी शासन को सर्वप्रथम गुरु रामसिंह के अनुयायी कूका विद्रोहियों का सामना करना पड़ा था। कूका सिख बड़े ही देशभक्त और स्वतंत्रता के लिए बलिदान को प्रेरणा देने वालों में अग्रणी थे । सद्गुरु के नेतृत्व में सबसे पहले उन्होंने विदेशी वस्त्रों और सरकारी दफ्तरों का बहिष्कार और असहयोग का प्रयोग आजादी की लड़ाई के अस्त्र के रूप में किया । उन्होंने अपनी डाक व्यवस्था और अदालतें भी चलाई। अंग्रेजों ने उनका बड़ी क्रूरता से दमन किया । 17 जनवरी, 1872 को बहुत से कूके, बिना किसी अदालती न्याय के, तोप से उड़ा दिए गए । इस बलिदान के शताब्दी वर्ष के अवसर पुर हमने 'भारत के इतिहास निर्माता ' ग्रंथमाला के अंतर्गत यह पुस्तक पहली बार 1972 में प्रकाशित की थी ।
यद्यपि गो-रक्षा कूका कार्यक्रम का एक अंग था, लेकिन इस आदोलन को किसी प्रकार भी सांप्रदायिक नहीं कह सकते । इतिहास के क्रम में बड़ी-बडी घटनाएं अक्सर छोटे-छोटे कारणों को लेकर शुरू हुई हैं, जैसे 1857 का विद्रोह । यद्यपि इसका आरंभ चर्बी के कारतूसों के कारण धार्मिक भावनाएं उभरने से हुआ, पर यह विद्रोह किसी रूप में सांप्रदायिक न होकर पूरी तरह राष्ट्रीय था । धार्मिक भावना ने तो विस्फोटक परिस्थिति में सिर्फ एक चिंगारी का काम किया ।
पुस्तक लिखने में नामधारी सिखों के प्रधान कार्यालय, दिल्ली से जो सहायता मिली है उसके हम आभारी हैं । आशा है, पुस्तक के इस तृतीय संस्करण का भी पाठक स्वागत करेंगे ।
विषय-सूचि |
||
1 |
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि |
1 |
2 |
पंजाब और अंग्रेज |
5 |
3 |
स्वतंत्रता संग्राम तथा पंजाब |
8 |
4 |
सद्गुरु रामसिंह का प्रारंभिक जीवन |
11 |
5 |
धर्माधारित राजनीति और नामधारी ग्रंथ |
13 |
6 |
कूका असहयोग आदोलन |
16 |
7 |
अमृतसर हत्याकांड और फासी कै तख्ते पर |
25 |
8 |
मालेरकोटला का वीभत्स नरसंहार |
29 |
9 |
गुरु रामसिंह का वर्मा निवासन |
38 |
10 |
कूका विद्रोह का परिणाम |
43 |
पुस्तक के विषय में
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सभी वर्गों एवं समुदायों के लोगों ने भाग लिया। सिक्खों के कूका समुदाय का आंदोलन कूका विद्रोह के नाम से प्रसिद्ध है। महान सेनानी गुरु रामसिंह के नेतृत्व में कूका विद्रोहियों ने असहयोग और सरकारी कार्यालयों के बहिष्कार के माध्यम से अंग्रेजों को चुनौती दी। उन्होंने अपनी वैकल्पिक शासन व्यवस्था चलाने का प्रयास किया।
प्रस्तावना
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान सेनानी सद्गुरु रामसिंह के विषय में लोग बहुत कम जानते हैं । इसका एक कारण यह है कि विदेशी शासन ने इस बात की पूरी कोशिश की कि लोग उन्हें भूल जाएं। 1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेजी शासन को सर्वप्रथम गुरु रामसिंह के अनुयायी कूका विद्रोहियों का सामना करना पड़ा था। कूका सिख बड़े ही देशभक्त और स्वतंत्रता के लिए बलिदान को प्रेरणा देने वालों में अग्रणी थे । सद्गुरु के नेतृत्व में सबसे पहले उन्होंने विदेशी वस्त्रों और सरकारी दफ्तरों का बहिष्कार और असहयोग का प्रयोग आजादी की लड़ाई के अस्त्र के रूप में किया । उन्होंने अपनी डाक व्यवस्था और अदालतें भी चलाई। अंग्रेजों ने उनका बड़ी क्रूरता से दमन किया । 17 जनवरी, 1872 को बहुत से कूके, बिना किसी अदालती न्याय के, तोप से उड़ा दिए गए । इस बलिदान के शताब्दी वर्ष के अवसर पुर हमने 'भारत के इतिहास निर्माता ' ग्रंथमाला के अंतर्गत यह पुस्तक पहली बार 1972 में प्रकाशित की थी ।
यद्यपि गो-रक्षा कूका कार्यक्रम का एक अंग था, लेकिन इस आदोलन को किसी प्रकार भी सांप्रदायिक नहीं कह सकते । इतिहास के क्रम में बड़ी-बडी घटनाएं अक्सर छोटे-छोटे कारणों को लेकर शुरू हुई हैं, जैसे 1857 का विद्रोह । यद्यपि इसका आरंभ चर्बी के कारतूसों के कारण धार्मिक भावनाएं उभरने से हुआ, पर यह विद्रोह किसी रूप में सांप्रदायिक न होकर पूरी तरह राष्ट्रीय था । धार्मिक भावना ने तो विस्फोटक परिस्थिति में सिर्फ एक चिंगारी का काम किया ।
पुस्तक लिखने में नामधारी सिखों के प्रधान कार्यालय, दिल्ली से जो सहायता मिली है उसके हम आभारी हैं । आशा है, पुस्तक के इस तृतीय संस्करण का भी पाठक स्वागत करेंगे ।
विषय-सूचि |
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1 |
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि |
1 |
2 |
पंजाब और अंग्रेज |
5 |
3 |
स्वतंत्रता संग्राम तथा पंजाब |
8 |
4 |
सद्गुरु रामसिंह का प्रारंभिक जीवन |
11 |
5 |
धर्माधारित राजनीति और नामधारी ग्रंथ |
13 |
6 |
कूका असहयोग आदोलन |
16 |
7 |
अमृतसर हत्याकांड और फासी कै तख्ते पर |
25 |
8 |
मालेरकोटला का वीभत्स नरसंहार |
29 |
9 |
गुरु रामसिंह का वर्मा निवासन |
38 |
10 |
कूका विद्रोह का परिणाम |
43 |