पुस्तक परिचय
मजदूरों के संघर्ष पर आधारित एक सशक्त उपन्यास मॉरिशस के प्रतिभावान कथाकार अभिमन्यु अनत ने आधुनिक हिन्दी कथा-साहित्य में अपना विशिष्ट स्थान बना लिया है। उनका यह उपन्यास उनके साहित्यिक व्यक्तित्व को नया आयाम प्रदान करता है। उपन्यास का नायक अमित भावुक है, चिंतक है, मजदूरों का नेता है। अमीर-गरीब के बाहर भीतर के फासले से वह तिलमिला उठता है। मजदूर डेढ़ सौ साल बाद भी मजदूर ही है एक बहुत बड़ी गोलाई की यात्रा, जहाँ आदमी वहीं लौट आता है, जहाँ से यात्रा शुरू करता है। अमित के जीवन की विडम्बना यह है कि जिसे प्यार करता है, उसी के पिता से गहरी जंग छेड़ रखी है। यह उपन्यास बार-बार सोचने पर बाध्य करता है कि इस दुनिया में हमारी कोई हस्ती क्यों नहीं है?
लेखक परिचय
अभिमन्यु अनत का जन्म 9 अगस्त, 1937 ई. को त्रिओले, मॉरीशस में हुआ था। अभिमन्यु का मूल भारत की ही मिट्टी है। इनके पूर्वज अन्य भारतीयों के साथ अंग्रेज़ों द्वारा वहाँ गन्ने की खेती में श्रम करने के लिए लाए गए थे। मज़दूरों के रूप में गए भारतीय अनतः वहीं पर बस गए। भारतीय जो श्रमिक बनकर वहाँ गए थे, उनकी दूसरी-तीसरी पीढ़ियाँ पढ़ी-लिखी और सम्पन्न है। उनका जीवन स्तर बहुत ऊँचा है। अभिमन्यु की भारतीय पृष्ठभूमि ने उन्हें हिन्दी की सेवा के लिए उत्साहित किया और उन्होंने अपने पूर्वजों की मातृभूमि का ऋण अच्छी तरह से चुकाया। मॉरीशस के महान् कथा-शिल्पी अभिमन्यु अनत ने हिन्दी कविता को एक नया आयाम दिया है। उनकी कविताओं का भारत के हिन्दी साहित्य में भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। अभिमन्यु अनत का 4 जून, 2018 को निधन हो गया।
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