गुजरात साहित्य अकादमी, गुजरात राज्य अपने स्थापनाकाल से ही गुजराती, उर्दू, हिंदी, सिंधी, संस्कृत भाषा साहित्य विकास-उत्कर्ष में विविध प्रवृत्तियों के माध्यम से अपना योगदान दे रही है। विभिन्न विधाओं के शिष्टमान्य ग्रंथ, अनुवाद, नवोदित कवि-लेखक की कृति और बालसाहित्य का प्रकाशन या प्रकाशन के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना; साहित्यिक कार्यक्रम-परिसंवाद, कार्यगोष्ठी करना तथा उनके लिए आर्थिक मदद देना; विविध भाषाओं की विभिन्न विधाओं की श्रेष्ठ समकालीन कृतियों को पुरस्कृत करना; विविध भाषाओं के उत्तम साहित्यकारों को पुरस्कार देकर सम्मानित करना और नियमित रूप से मासिक, त्रैमासिक तथा वार्षिक प्रकाशनों द्वारा भाषा-साहित्य के संवर्धन संरक्षण का कार्य अकादमी कर रही है।
सत्य (भाग १ से ४) गुजराती के मूर्धन्य साहित्यकार स्व. श्री जयंत गाड़ित की महत्त्वपूर्ण प्रशिष्ट कृति है। इसमें दक्षिण आफ्रीका से लौटकर भारत आए महात्मा गांधी के जीवन को केन्द्र बनाकर उस समग्र कालखंड को प्रामाणिक तौर पर उपन्यास के रूप में प्रस्तुत किया गया है। एतदर्थ लेखक ने उपलब्ध समस्त सामग्री का अवलोकन -विश्लेषण, अनुशीलन करके समकालीन सत्य को रोचक रूप में प्रस्तुत किया है। उनका यह कार्य समयसाध्य तथा श्रमसाध्य दोनों रहा है। यह अपने समय का प्रामाणिक ऐतिहासिक दस्तावेज भी है।
यह उपन्यास चार भागों पावक अग्नि, ज्वाला, सुलगती आग तथा दावानल में विभक्त है। अपने कलेवर में सन् १९१५ से लेकर १९४८ जनवरी महीने तक की देश की राजनीतिक सामाजिक, आर्थिक जीवन की हलचलों, उनके अंतः संबंधों तथा संघर्षों का आलेखन बड़ी सूक्ष्मता, सतर्कता तथा गंभीरता से किया गया है। इस तरह से यह अपने समय का सत्य है।
इस प्रशिष्ट कृति का हिन्दी अनुवाद देश के विभिन्न भाग के पाठकों के लिए सुलभ कराने हेतु हम स्व. जयंत गाड़ित की पत्नी सुश्री मंजुला गाड़ित के अत्यंत ऋणी हैं। इसके प्रकाशन की अनुमति देने के लिए सुश्री मंजुला गाड़ित का आभार व्यक्त करते हैं। दोनों अनुवादकों वीरेन्द्रनारायण सिंह तथा डो. बिन्दु भट्ट को एतदर्थ साधुवाद, जिन्होंने इस श्रमसाध्य कार्य को भलीभाँति संपन्न किया। इस अनूदित रचना के पाठक को गांधीजी के समकालीन भारतीय जीवन से परिचित होने, फैली हुई विभिन्न अपमान्यताओं से मुक्त होने का भी लाभ मिलेगा, जो उसे जीवन सत्य को समझने- परखने में मदद करके और समृद्ध बनाएगा। हिन्दी के माध्यम से यह अन्य भारतीय भाषाओं तक पहुँचेगा, ऐसी आशा है।
हम अनुवादकों के भी आभारी हैं। सुंदर प्रिन्टिंग के लिए क्रिश्ना ग्राफिक्स, अहमदाबाद के श्री किरीट हरजीभाई पटेल को धन्यवाद देता हूँ। इस ग्रंथ के प्रकाशन से जुड़े अपने सभी सहकर्मियों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ ।
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