घर में हरियाली....
आधुनिक महानगरीय सभ्यता का प्रमुख प्रभाव हमारे आवासों में दिखाई देने लगा है। बढ़ती जनसंख्या के लिए जमीन की कमी ने आवासों का रुख ऊपर की ओर करने पर विवश कर दिया है। महानगरों में शहरी आबादी का मुख्य भाग फ्लैट में रहने लगा है। ये फ्लैटनुमा आवास छोटे भी होते हैं, और बड़े भी। एक समय था जब मकान के चारों ओर वाटिका होती थी। छोटे से मकान में भी थोड़ी-सी सब्जियां, थोड़े से फूलों, तुलसी आदि के पौधों से सजी छोटी-सी बगिया होती थी। परन्तु अब स्थान की कमी के कारण यह सब कठिन हो गया है। खुला स्थान, वाटिका और उद्यान तो एक सपना ही बनता जा रहा है। फिर भी हरियाली पसंद फ्लैट निवासी गमलों, घर के बरामदे, छत, छोटी-सी बालकनी में भी बागवानी कर फूलों, पौधों का आनन्द उठाने लगे हैं। सब्जियां उगाने लगे हैं। यह समय की आवश्यकता भी है तथा कई प्रकार से लाभदायक भी।
यदि आप सोचते हैं कि आपके घर की बनावट आकर्षक नहीं है, उसमें कोई सौंदर्य नहीं, वातावरण नीरस है, आपका घर गली-कूचे में है, तो भी कोई बात नहीं। लेकिन यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं, हरियाली पसंद करते हैं तो ये सब बातें गौण हैं। सोचिए-आपका सौंदर्य बोध, आपकी कल्पना शक्ति उसमें क्या-क्या रंग भर सकती है? अपनी सौंदर्य चेतना एवं कल्पना का सहारा लेकर आप घर में बागवानी कीजिए। अपनी छोटी-सी वाटिका बनाइए। अपने घर व बाहर की खिड़कियों में पेड़-पौधे लगाकर वातावरण को हरा-भरा एवं सुरभित बना सकते है। खिड़कियों में लताएं, फूल, हरे पौधे लगा सकते हैं। पौधों से कमरे की कलात्मक सजावट कर उद्यान के वातावरण का आनंद ले सकते है। बैठक, शयन कक्ष, गैलरी, भोजन कक्ष आदि को सदाबहार फूलों वाले पौधों से सजाकर आर्कषण बना सकते हैं। ये पत्तीदार एवं पुष्पमय पौधे दूषित गैसों को ग्रहण कर ऑक्सीजन युक्त शुद्ध हवा हमें वापिस लौटाते हैं, जिससे घर के अंदर का वातावरण सरस व सुंदर होने के साथ-साथ स्वास्थ्य की दृष्टि से भी शुद्ध हो जाता है।
बालकनी, बरामदा, छत पर भी छोटी-सी बगिया लगाई जा सकती है। छत पर खिले फूलों के एवं हरियाली वाले पौधों की अनोखी छटा बिखेर कर सुगंध, हरियाली व शीतलता का आंनद लिया जा सकता है। आपको ध्यान देना होगा कि छत पर जल निकास का उचित प्रबंध हो। बोनसाई वृक्षों से भी छत की शोभा बढ़ाई जा सकती है। छत पर लकड़ियों से, बांस-बल्लियों से, ऊपर जाली या बेल चढ़ाकर हरे-भरे पौधों के लिए 'ग्रीन हाउस' भी बनाया जा सकता है। यहां प्रातः व सायंकाल परिवार तथा इष्ट मित्रों के साथ बैठकर प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लिया जा सकता है।
हाल ही में हुई एक नई शोध से पता चला है कि बाग-बगीचों के अंदर प्रतिदिन पांच मिनट का समय बिताना भी शरीर के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है। सोचने की बात यह है कि जब घर में ही बागवानी है तो हम उसमें अपना अधिकांश समय बिताते भी हैं। उसकी देखभाल करेंगे, उनके बीच रहेंगे तो निश्चित रूप से हमें लाभ मिलेगा। आधुनिक दौर की आपाधापी में शारीरिक श्रम से वंचित होकर मनुष्य कई प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो रहा है। ऐसे लोगों के लिए घर की बागवानी एक निःशुल्क औषधि की तरह है।
इस पुस्तक में घर की बागवानी के लिए इस क्षेत्र में अनवरत शोध कर रहे दो विशिष्ट विद्वानों की ओर से विधिवत जानकारी दी गई है। फूलों की उम्र तथा ताजगी बढ़ाने, सदाबहार बोनसाई, कैक्टस तथा गूदेदार पौधों गमलों में सब्जियां उगाने, पोषक मशरूम, औषधीय पौधे, वर्मी कम्पोस्ट, ग्रीन हाउस, आवश्यक उपकरण और यंत्र आदि की वैज्ञानिक जानकारी सरल व सहज तरीके से दी गई है।
यह पुस्तक उन लोगों के लिए भी उपयोगी है, जो अपने घर में हरियाली का स्वागत करने को तैयार हैं, साथ ही उनके लिए भी जो अपनी समझ से घर में बागवानी कर रहे हैं। उन्हें इस पुस्तक से और भी अनेक जानकारियां मिल सकेंगी।
'सुंदर-सुंदर फूल खिले हैं.... चारों ओर हरियाली है..... शीतल हवाएं आ रही .... डाल-डाल पर चिड़ियों की चहक है..... फूलों-कलियों की महक है..... रंग-बिरंगी तितलियों की अठखेलियां हैं.....हम तन से स्वस्थ हैं, मन से खुश हैं......' यह प्राकृतिक वर्णन किसी वन-उपवन का बाग-बगीचे का हो सकता है तो घर की बगिया का भी तो हो सकता है.....!
हमें पूरा विश्वास है कि पत्रिका प्रकाशन की उत्कृष्ट पुस्तक प्रकाशन श्रृंखला में 'घर में बागवानी' का भी पाठक स्वागत करेंगे। उम्मीद है यह पुस्तक घर में हरियाली के साथ खुशहाली भी लाएगी। आइए, हम सब मिलकर घर-घर में एक सुंदर-सी, मनभावन बगिया की रचना करने का संकल्प लें। अपने घर के बाहर भीतर थोड़ी ही सही, हरियाली ले आएं।
Hindu (हिंदू धर्म) (13443)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (714)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2075)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1157)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24544)
History (इतिहास) (8922)
Philosophy (दर्शन) (3591)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist