पुस्तक परिचय
प्रिय पाठक,
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आपके मरने की तारीख : यह कोई रालती से नहीं छपा है। यह बहुत जरूरी है। अपनी मौत की अनुमानित तारीख जानने का प्रयास करें, या कम से कम एक अनुमान लगाने का जोखिम उठाएं। अपने माता-पिता, अपने रिश्तेदारों के जीवन का लेखा-जोखा लें। निराश मत होइए। हर इंसान जिसने यह किताब पढ़ी है (और हर वह इंसान जिसने इसे नहीं पढ़ा!) वह एक दिन मर जाएगा। हर कोई जो पैदा हुआ है उसे मरना है। अफसोस की बात है कि हममें से कोई भी इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं देता। हममें से बहुत से लोग मानते हैं कि हमारे पास मरने से पहले बहुत लंबा समय है; जबकि कुछ लोग सोचते हैं कि हम हमेशा जिंदा रहेंगे। अब जब आपने अपने मरने की तारीख लिख ली है. तो देखें इस यह पर आपके पास और कितने साल बचे हैं। यह बहुत ज्यादा समय नहीं है ना? खासकर जब आप पीछे मुड़कर देखते हैं और महसूस करते हैं कितनी तेजी से साल आपके सामने से गुजर गए हैं। हमारे पास बहुत सीमित क्रिसमस या दिवाली हैं। तो. अब जब हम जानते हैं कि हमारा समय सीमित है, तो हमें जीवन को एक नये दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है। कुछ साल पहले, मैंने फैसला किया कि मुझे मरने के बारे में अपने विचारों को जितना मुमकिन हो खुलकर लिखना चाहिए। मैं कोई महान दार्शनिक नहीं हूं, न ही मैं ब्रह्माण्ड के किसी भी रहस्य का समाधान जानने का दिखावा करता हूं। आपकी ही तरह, मैं भी एक इंसान हूं जो जीवन और मौत के बारे में, उसके अर्थ के बारे में सोचता है। मैं अक्सर खुद को जिंदगी के बारे में बहुत ज्यादा सोचते हुए पाता हूं, इसलिए मैंने फ़ैसला किया कि जांच करने का एक अच्छा तरीका इसे लिख लेना होगा। मैं बहुत यात्राएं करता हूं और जहां भी मैं जाता हूं लोगों से मौत के बारे में बात करना पसंद करता हूं। मरने के बाद हमारा क्या होगा ? हम कहां जाएंगे ? हमें क्या हो जाएगा? अक्सर, जब मैं दोस्तों या अपने सहयोगियों के साथ किसी कमरे में होता हूं तो मैं उनसे पूछता हूं कि वे क्या सोचते हैं कि मरने के बाद क्या होता है। इस सवाल का असर स्वाभाविक रूप से परेशान करने वाला होता है और अक्सर ही इस सवाल के बाद एक लंबी खामोशी छा जाती है। लेकिन एक अजीब बात होती है उन लोगों के लिए जो खुद को इस सवाल से जोड़ लेते हैं। अचानक से, वे फिर छोटी-छोटी बातों को छोड़-एक गंभीर विषय की तरफ चले जाते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि वे मिट्टी से बने हैं और मिट्टी में मिल जाएंगे, कुछ दूस ताकत में यकीन करते हैं; हालांकि, सभी को एक पल के लिए ही सही, इस सबसे बड़े और सबसे मुनासिब सवाल का सामना करना पड़ता है-वह सवाल जो हमें बेहतर जिंदगी जीने में मदद करेगा। अपनी हर बातचीत में मेरी बातें सिर्फ मौत के बारे में ही नहीं होतीं, लेकिन इसका ख्याल मेरे दिमाग से कभी दूर भी नहीं होता। यह मौत को एक सकारात्मक शक्ति में बदलने के लिए इच्छाशक्ति का काम करता है - और कभी-कभी मुझे ऐसा महसूस होता है कि ज्यादातर लोगों ने इसे समझने की कोशिश ही नहीं की है। मैंने जाना कि एक घड़ी है जो हमेशा मेरे साथ रहती है: मेरे सभी सूटों की जेबों में, जब मैं यात्रा कर रहा होता हूं तो होटल के कमरे या मेरे घर में बिस्तर के बगल की टेबल पर। यह रात में चमकती है। हम सभी के पास एक घड़ी है और आजकल मैं उसकी हर टिक-टिक सुन सकता हूं। मैं इस पर पूरा ध्यान देता हूं। जो बात मुझे ज्यादा समझ में आई है, वह यह कि इन दिनों पैसा हर किसी की ऊर्जा को सबसे ज्यादा चूसता है यानी इन्हीं सबमें कि पैसा कैसे पाएं, इसे कहां खर्च करें, किसने कितना पाया है। जब मैंने यात्राएं की और लोगों से जीवन के हर क्षेत्र के बारे में बात की, तो मैंने हर जगह इसका असर देखा। मैंने इस बारे में भी सोचा कि जिनके पास पैसा है वे भी एक दिन मर जाएंगे। हर इंसान की तरह जो भी कभी जिंदा रहा, उनकी खुद की कीमत बेशक जीरो हो जाएगी। बात सिर्फ ये नहीं है कि आप अपने साथ पैसा नहीं ले जा सकते, इसमें तो कोई शक ही नहीं कि मरने के बाद वह किसी काम का नहीं होगा। कोई गारंटर नहीं, कोई गारंटी नहीं, कोई स्विस बैंक खाता नहीं, कोई कार और कोई पर्स नहीं। ये कोई नई बात नहीं लेकिन यह कुछ ऐसा है जो मेरे लिए जरूरी है और मुझे उम्मीद है इसे और ज्यादा खोजा |
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