आजकल सभ्यताओं के संघर्ष की चर्चा हर ओर सुनाई देती है। हटिंगटन का यह सिद्धांत जैसे एक चलन बन गया है। कोई इसे पश्चिम और इस्लामी दुनिया के संघर्ष की नजर से देखता है, तो कोई इसे आधुनिकता और परंपरागत सोच के टकराव के रूप में। लेकिन अगर नजर गहराई से डाली जाए, तो भारत में एक अलग ही संघर्ष सदियों से चलता आ रहा है।
यह संघर्ष वैदिक और गैर-वैदिक विचारधाराओं के बीच है। सिंधु घाटी सभ्यता और आर्यों के आगमन को लेकर जो विवाद है, वह केवल इतिहास का सवाल नहीं है; यह हमारे वर्तमान और भविष्य को भी छूता है। यह हमारी पहचान, हमारी जड़ों और हमारे सपनों की लड़ाई है।
मुझे महसूस हुआ कि इस विषय को सरल भाषा में, बिना भारी-भरकम शब्दजाल के, लेकिन गहरी समझ और सटीक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करना बेहद जरूरी है। यह किताब उसी कोशिश का नतीजा है। मैंने इसे लिखते वक्त हर पन्ने में एक ऐसी आवाज को शामिल किया है, जो हर पढ़ने वाले को उसकी जड़ों से जोड़ सके। मेरा मानना है कि इतिहास केवल पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि उसे जीने और समझने के लिए है।
आशा है, यह किताब आपके मन को छुएगी और आपकी सोच को एक नई दिशा देगी।
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