आध्यात्मिकता में "कर्म योग" या कर्म सिद्धांत एक ऐसा जटिल विषय है जो अनेक लोगों को कठिन तथा उलझा देनेवाला प्रतीत होता है। लेखिका ने अपने उन्नत महाज्ञान से अत्यंत सरल और सुंदर रूप में इस विषय को हमें उपलब्ध कराया है।
कर्म होता क्या है? उसके अनेक रूप कौन से हैं? क्या कर्म को हम इसी जन्म में पूर्ण करके मुक्त हो सकते हैं? कर्म के नियम किस पर और किस तरह लागू होते हैं? क्या हम कर्मचक्र से बाहर आ सकते हैं? इत्यादि प्रतिदिन मन में आने वाले प्रश्न, जिनसे हम अपने कर्मों को जानने की कोशिश करते हैं, परंतु समझ नहीं पाते, ऐसे कर्म की दशाएँ हमें रोचक उदाहरणों के माध्यम से भीष्म पितामह ने इस पुस्तक में बताई हैं। यह आपका कर्म बदल देंगी और सत्य की राह पर चलने के लिए आपको प्रेरित करेंगी।
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