| Specifications |
| Publisher: SAHITYA AKADEMI | |
| Author: जगदीश लछाणी (Jagdish Lchhani) | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 85 | |
| Cover: Paperback | |
| 8 inch x 5.5 inch | |
| Weight 130 gm | |
| Edition: 2011 | |
| ISBN: 9788126031306 | |
| NZA284 |
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पुस्तक परिचय
लाल पुष्प ( 1935-2009) भारत विभाजन के बाद सिंधी साहित्य में उत्पन्न दूसरी युवा पीढ़ी के एक सबल साहित्यकार हैं । वे मनोविश्लेषणात्मक कहानियों के प्रबल लेखक नये भावबोध वाले उपन्यासकार एवं साहित्यिक निबंधों के रचयिता भी हैं । उनकी लगभग दो दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । लाल पुष्प को सर 1974 ई में हुनज़े आत्म जो मौतु (उसके आत्म की मृत्यु) पर साहित्य अकादेमी की ओर से पुरस्कार प्राप्त हो चुका है । इस पारितोषिक के फलस्वरूप महाराष्ट्र सरकार ने भी उन्हें गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया । उनकी कहानियाँ अंग्रेजी हिंदी मराठी गुजराती उर्दू बंगला आदि भाषाओं में अनुवादित होकर पाठकों की प्रशंसा प्राप्त कर चुकी हैं । लाल पुष्प का पत्रकारिता में भी सक्रिय सहयोग रहा । विवादित व्यक्तित्व के बावजूद उनकी ख्याति भारत के साथ साथ हमारे देश की सीमाओं से परे सिंध देश में भी व्याप्त है । वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार लाल पुष्प का जन्म 1 जनवरी 1935 ई में लाड़काणा शहर में हुआ था जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है । सुखी एवं सम्पन्न परिवार में जन्मे लाल पुष्प को भारत विभाजन के बाद कुछ समय तक कल्याण कैंप में रहकर अनेक असुविधाओं का सामना करना पड़ा । उसके बाद वे मुम्बई चले गए । वहीं उनका निधन 20 मार्च 2009 ई में उनके निवासस्थान पर हुआ । प्रस्तुत पुस्तक सिंधी के सुप्रसिद्ध विद्वान व शिक्षाविद्ध जगदीश लछाणी ने लिखी है जो डिग्री कॉलेज में सिंधी और हिंदी के लेक्चरर रह चुके हैं । उनकी सिंधी हिन्दी अंग्रेजी में अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । इससे पूर्व भी जगदीश लछाणी मोहन कल्पना और श्याम जयसिंघाणी पर साहित्य अकादेमी के लिए पुस्तकें लिख चुके हैं । संप्रति उल्हासनगर में प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं ।
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अनुक्रम |
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1 |
संक्षिप्त जीवन परिचय |
1 |
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2 |
व्यक्तित्व एवं कृतित्व |
17 |
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3 |
मनोविश्लेषणात्मक कहानियों के सबल साहित्यकार |
27 |
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4 |
परम्परा से परे शिल्पगत परिपक्वता के साथ उपन्यासों का सृजन |
50 |
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5 |
आत्मजीवनी उपन्यास इतिहास |
63 |
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6 |
लाल पुष्प के अनुवादित उपन्यास |
69 |
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7 |
लाल पुष्य एक आलोचक |
73 |
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8 |
लाल पुष्प की रचनाएँ |
83 |
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