लाला लाजपतराय की यह छोटी-सी जीवनी प्रस्तुत करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है। लाला जी हमारे उस कोटि के राष्ट्र-निर्माताओं में से थे जिन्होंने उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में भारतीय जागरण की नींव डाली। उनका जीवन बहुमुखी राष्ट्रीय उत्थान का प्रतीक था। शिक्षा, धर्म, साहित्य, समाज, राजनीति, हर क्षेत्र को उन्होंने प्रभावित किया। वह यथार्थ में महामानव थे । यह कितने खेद की बात है कि इस महान् राष्ट्र-सेवक का अभी तक कोई प्रामाणिक जीवन नहीं प्रकाशित हुआ ! इस त्रुटि को अंशतः दूर करने के लिये यह तुच्छ प्रयास किया गया है। लोक सेवक मण्डल के आजीवन सदस्य के नाते से लेखक का लाला जी के साथ उनके अन्तिम आठ वर्षों में गहरा सम्पर्क रहा है। लेखक ने तत्कालीन तथा पहले की परिस्थितियों को सम्मुख रखकर लाला जो की जोवनी पर प्रकाश डालने का प्रयत्न किया है। यदि इससे उनके महान् व्यक्तित्व का पाठकों को कुछ भी आभास मिल जाय, तो लेखक अपने को कृतकृत्य समझेगा।
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