पुस्तक परिचय
सहस्रार्जुन भारतीय रतीय पौराणिक इतिहास में अर्जुन के नाम से महाभारत के पार्थ का चरित्र आता है, पर उनसे भी पहले सतयुग और त्रेता युग के संक्रमण काल में सुदर्शन चक्र ने अवतार लिया था, जिनके हजारों हाथ चक्र की भाँति लगते थे। वो दक्षिण आर्यावर्त में माहिष्मती का राजा सहस्रबाहु अर्जुन था। ये ऐसे योद्धा थे, जिन्होंने नर्मदा तट पर राज किया और आर्य-अनार्य के बीच की खाई को मिटाने का प्रयास किया। अनार्यों के प्रति उनके उदारभाव के कारण उन्हें भार्गव ऋषियों का द्वेष झेलना पड़ा, जिसका वर्णन विष्णुपुराण, लोमहर्षिणी में मिलता है। ऋग्वेद में वर्णित दशराग्य युद्ध में इनकी निर्णायक भूमिका थी। इनके प्रजापालक, महान् शासक होने और अपार शक्तियों का वर्णन मत्स्य पुराण, श्रीमद्भगवत, लिंगपुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण, रामायण, महाभारत में मिलता है।
लेखक परिचय
भागवत जायसवाल उभरते हिंदी लेखक हैं, जिन्होंने सहस्रार्जुन के साथ झुमरी तलैया का रहस्य, दशराग्य का कालचक्र, ग्रहों का युद्ध, बहादुर कलारिन, कोटवार, साक्षात्कार, तैयारी जीत की, नरकतंत्र जैसे कई उपन्यासों की रचना की है। दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र व इतिहास की समझ तथा प्रेमचंद की प्रेरणा उनकी लेखन-शैली में झलकती है।
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