| Specifications |
| Publisher: SAHITYA AKADEMI | |
| Author: विजय कुमार (Vijay Kumar) | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 116 | |
| Cover: Paperback | |
| 8.5 inch x 5.5 inch | |
| Weight 150 gm | |
| Edition: 2014 | |
| ISBN: 9788126022625 | |
| NZA286 |
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(मलयज) पुस्तक परिचय
मलयज (जन्म 1935 ई., आजमगढ़, निधन 26 अप्रैल 1982 ई.) हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि और आलोचक थे । उन्होंने हिन्दी साहित्य में नेहरू युग के बाद की रचनाधर्मिता और उसके परिवेश को समझने विश्लेषित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और इस विन्दु पर खड़े होकर परंपरा में परिभाषित रचनाधर्मिता के कुछ विद्वानों को भी एक नए सिरे से व्याख्यायित करने में हस्तक्षेप किया ।
मलयज की आलोचना का मिज़ाज एक विशुद्ध अकादमिक आलोचक की आलोचना से भिन्न तरह का है । एक गहरी संवेदनशीलता और लगाव के साथ वे कृति के आंतरिक संसार में उतरते हैं । उनकी आलोचना का परिप्रेक्ष्य विघटित होते मूल्यों के दौर में संवेदनशीलता के नए रूपों की शिनाख्त से बनता है । भाषा सौन्दर्य रुचि और अनुभव सँजोनेवाला तंत्र उनके बुनियादी विश्लेषण के आधार रहे हैं। रोष, व्यंग्य, कुढ़न, ललकार, विषाद, करुणा, भावुकता और आत्म दया के तमाम शेड्सवाली समकालीन रचनाशीलता के विभिन्न संसारों को समझने का उन्होंने प्रयत्न किया है । दूसरी तरफ़ उनकी कविताओं में खास तरह की वैचारिक तीक्ष्णता और संवेदनात्मक छटपटाहट नज़र आती है । रघुवीर सहाय ने उनकी कविताओं पर टिप्पणी करते हुए उन्हें एक नई शैली और एक नई व्यक्ति गरिमा दोनों की एक साथ खोज कहा है ।
मलयज की प्रकाशित कृतियों में कविता से साक्षात्कार संवाद और एकालाप तथा रामचंद्र शुक्ल शीर्षक आलोचनात्मक पुस्तकों के अलावा जख्म पर हल अपने होने को प्रकाशित करता हुआ (कविता संग्रह), हँसते हुए मेरा अकेलापन (सृजनात्मक गद्य), मलयज की डायरी (डायरी) प्रमुख हैं ।
लेखक परिचय
प्रस्तुत विनिबंध के लेखक डी. विजय कुमार (जन्म 11 नवंबर 1948 ई., मुंबई) हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि और आलोचक हैं । आपने पहल और उद्भावना के विशेषांकों का संयोजन संपादन किया है । आपके तीन कविता संग्रह और तीन आलोचना पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिनमें उल्लेखनीय हैं अदृश्य हो जाएँगी सूखी पत्तियाँ एवं चाहे जिस काल मैं (कविता संग्रह) और कविता की संगत एवं अँधेरे समय में विचार (आलोचना) । कविता के लिए शमशेर सम्मान तथा आलोचना के लिए देवीशंकर अवस्थी सम्मान से विभूषित डी. कुमार भारत सरकार के एक संस्थान में वरिष्ठ पद पर कार्य करने के पश्चात् इन दिनों स्वतंत्र लेखन कार्य में संलग्न हैं ।
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अनुक्रम |
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1 |
1. मलयज का जीवन वृत |
7 |
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2 |
2. मलयज की आलोराना का परिप्रेक्ष्य |
20 |
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(क) आचार्य रामचंद्र शुका और मलयज |
32 |
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(ख) मुक्तिबोध और मलयज |
37 |
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(ग). शमशेर और मलयज |
43 |
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3. मलयज की आलोचना का गुणधर्म |
48 |
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4. मलयज की कविता |
55 |
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5. मलयज का सर्जनात्मक गद्य |
60 |
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6. मलयज की डायरी |
64 |
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चयन |
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1. मिथ में बदलता आदमी (निबंध) |
75 |
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2. काव्यभाषा का इकहरापन (निबंध) |
87 |
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3. सरोज स्मृति और निराला (निबंध) |
92 |
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4. लगना (कविता) |
103 |
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5. माँ (कविता) |
104 |
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6. बिना चेहरोंवाली गली (कहानी) |
105 |
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7. डायरी |
110 |
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सदर्भ सूची |
115 |
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