| Specifications |
| Publisher: Prabhat Prakashan, Delhi | |
| Author Hemant Kukreti, Sumita Kukreti | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 320 | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8.5x5.5 inch | |
| Weight 310 gm | |
| Edition: 2021 | |
| ISBN: 9789386231529 | |
| HBC342 |
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भाषा और साहित्य के सवाल विषयनिष्ठ होते हैं। उनके किसी पक्ष पर सर्वसम्मत भा निष्कर्ष देना अत्यंत कठिन है। रचनाकारों के इतिवृत से जुड़े जन्म एवं पुण्य तिथि, जन्म स्थान इत्यादि स्थूल तथ्य हों या उनके कृतित्व से जुड़े गंभीर प्रश्न हों- उनके सीधे-सपष्ट और प्रत्यक्ष उत्तर भी कई बार विद्वानों, साहित्य अध्येताओं और पाठकों को संतुष्ट नहीं कर पाते हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि साहित्य जैसी कलाओं में व्यक्तिगत अभिरूचियों की गुंजाइश सबसे ज्यादा होती है। इन सब जोखिमों के बाद भी हम हिंदी साहित्य का वस्तुनिष्ठ इतिहास के साथ साहित्य-मर्मज्ञों और हिंदी विषय लेकर आजीविका अर्जित करने की इच्छा रखनेवाले विपुल युवा समाज के सम्मुख उपस्थित हैं।
आदिकाल से लेकर अब तक रचे गए हिंदी साहित्य के समग्र इतिहास की यह एकाग्र प्रस्तुति इसलिए भी संभव हो सकी कि स्वयं हमारे लिए एक छात्र तथा अध्यापक के रूप में हिंदी साहित्य का इतिहास परेशान करनेवाला विषय रहा है।
हिंदी साहित्य के इतिहास के इस वस्तुनिष्ठ विवेचन के पीछे अध्ययनकाल के अपने प्राचीन मित्र प्रभातजी (प्रबंध निदेशक, प्रभात प्रकाशन) की भूमिका को यहाँ खास तौर पर रेखांकित करना हमारा कर्तव्य बनता है। प्रकाशक की तरह नहीं मित्र की तरह यह काम कराने में वे सफल रहे !
वस्तुनिष्ठ विवेचन होते हुए भी प्रत्येक युग का साहित्य परिवेश, प्रमुख रचनाकारों का योगदान, युगीन साहित्यिक विशेषताएँ, आलोचकों, साहित्येतिहासकारों एवं रचनाकारों के चर्चित मत, परिभाषाओं और हिंदी साहित्य की अंतर्वर्ती ऐतिहासिक निरंतरता विशलेषित करने के वस्तुनिष्ठ प्रयास में सफलता के निर्णायक पाठक हैं- आशा है कि इसे और बेहतर करने के सुझाव और मार्गदर्शन उनसे मिलेंगे।
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